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१८. १४.२ ] , कहकोसु
[ २०५ घत्ता-थोहिँ दिवसहिँ पुण्ण विसेसहिँ सिद्ध महारायहो लयणु । जिणबिंबविराइउ सुट्ठ विराइउ आणंदियजणमणवयणु ॥११॥
१२ निप्पन्नं महएविहे वीयउ
खुड्डयलयणु अवरु तर्हि तइयउ । गुरुहरिसेण रइयराहासय
तिहिँ वि पइट्ठ एक्कलग्गे कय । देवो भूमिदाणु बहु दिनउ
रोडजणहो रोडत्तणु छिन्नउ । अच्छिवि सुइरु तत्थु गउ चंपहे
कंचणगेहपहायचंदहे।। जामच्छइ सुहुँ रज्जु करंतउ
सवणसंघु ता तहिँ संपत्तउ । मुणिपागमणु सुणेवि सयाणउ
गउ लहु वंदणहत्तिए राणउ । पणवेप्पिणु प्रासानिसिनेसरु
पुच्छिउ पंकयणाहु मुणीसरु । कहि भयवंत कोइ हउँ होतउ
केण गुणेण सुसंपय पत्तउ । भासइ एउ सुणेविणु सुव्वउ
चिरभवकम्मु नराहिव सुव्वउ' । पत्ता-नामें धणमित्तउ वणिवइ होंतउ तहिँ तेरापुरि सोहणए ।
रज्जम्मि सुहाल धम्मनयाल नीलमहानीलहँ तणए ।।१२।।
तहो धणदत्तु नाम गोवालउ
होतउ पुत्तोवमु विणयालउ । सो कयाइ वणु लेप्पिणु सुरहिउ
गउ सरु दिठ्ठ सरोयहिँ सुरहिउ । पइसिवि एक्कु तेण सव्वुत्तमु
खुडिउ पोमु हरिसेण अणोवमु । आवइ जाम लेवि किर तीरहो
ता नायामरु निग्गउ नीरहो। भणइ छलेण लइउ पइँ सयदलु
देवयरक्खिउ एउ सपरिमलु। ५ सक्कु वि अन्नु न एयइँ पावइ
अह को सिहिसिहाहिँ तणु तावइ । एयहिँ नायराउ परपुज्जइ
इट्ठ देवपय पुण्णु समज्जइ । लइ तुह खमिउ जाहि जो सारउ
सव्वहँ वंदणिज्जु गरुयारउ । तहो पय पुज्जेज्जसु जय कारिवि
जइ अन्नहीं तो घल्ल मि मारिवि । एम करेमि भणेवि तुरंतउ
गउ घरु तं लएवि धणयत्तउ। १० घत्ता-गंपिणु धणमित्तउ तेण पउत्तउ मिलिउ करेप्पिणु करजुअलु ।
पारा करि पहु पय एउ सुसंपय जेण चढ़ावमि वरकमलु ॥१३॥
१४
पुच्छिउ वणिणा केण निमित्तें निरवसेसु सयवत्तहो वइयरु १२. १ सुदउ ।
भासिउ गोवालेण हसंतें। तं निसुणेवि पयंपइ वणिवरु ।
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