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१६. २५. ३. ],
कहकोसु
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वणिबंभणु कविलु वि कालगउ
काणणि दंतिउरहो जाउ गउ । पणियपडिवक्खपक्खपलउ
नामें पसिद्ध रेवातिलउ । वणि धरिउ धाडिवाहणनिवहो
हुउ करिवरु सो कयपयसिवहो । भवगहणि भमेवि असोक्खयरे
अहिदत्त वि तामलित्तनयरे ।। वणिउत्तहो वसुदत्तहो तणिया
हुय नागदत्त नामें वणिया। धणवइ घणसिरि नामालियउ
जणियाउ ताण वे बालियउ । धणवइ धणपालो धणपयरे
दिन्नी सुय नायलंदनयरे। तहो संसग्गेण अकज्जरया
हुय सा अणमन्निय बुद्धमया। धणसिरि कोसंबिहे सुंदरहो
दिन्नी वसुमित्तहाँ वणिवरहो । दिढदसण संसयभावच्या
सा साविय तहो संगेण हुया। घत्ता-कालें मुश पिश विहवि गण नायदत्त दुक्खिय घरु ।
ससिमुहियह लहुदुहियह प्रागय कोसंबीपुरु ।।२३।।
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धणसिरिए विवेयगुणायरए
सम्माणिवि मायरि सायरए । मुणिवरहँ पासि दुहविद्दवणु
लेवाविय निसिभोयणहो खणु । अच्छेवि तत्थ जेट्ठहे सुयहे
गय नायलंदपुरु पासु तहे । तहिँ ताण निवारयकुगइभउ
भग्गउ निसिभोयणविरइ वउ । इय इंति, जंतिएँ जं णियरउ
मूढ वयभंगु तिवार कउ । पुणरवि परिगहियाणथमिया
धणसिरिसामीवर एवि मया । तत्थु जि पुरम्मि पुहईवइहे
वसुपालो देविहे वसुमइहे ।। जइयहुँ पहूइ सा उयरि हुया
तइयहुँ पहूइ सोक्खेण चुया । जरसासखासकंडूहिं हया
जीवियसंदेहहां देवि गया। घत्ता-नाणाविहदुहवंकावियमुह सा हयदेहबलासय ।
नवमासहिँ कह व किलेसहिँ वाहि व गब्भहो निग्गय ॥२४॥
२५
उयरत्थिया वि जा दुहु जणइ किं किज्जइ जइ सुवन्नछुरिया किं पुत्तिण दुक्खविदाइणिए
सा वड्ढंती किं नउ कुणइ । तो कि हम्मइ तणु सुहयरिया। कि मायण पावइसाइणिए ।
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