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तहिँ तुहुँ मि चंडचंडालु हुउ पउमावइदेविहे पासि सुउ सो जइउ लहेसइ रज्जपउ रक्खंतु मसाणु तेण सपिउ घत्ता - भयवंतें
परमेसरि भंति न किंपि करे भासिउ महए विप्र होउ इणं किंबहुना यणाणंदणहो
उ करमि भणेवि नवेवि घरु अपि पिया पुन्नब्भहिउ पारद्धउ पालहुँ सोक्ख करु जिणमंदिर दूरुज्झियरयहे अच्छंति पयत्तें विणयजुय
तवबहुकंतें जं तं जाउ जयविक्खायउ
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पणवेपणु पुरउ निसन्नमई निसुणेपिणु सव्व सयाणियए जगडमरमणोभवहत्थिहरि मइँ कवणु पाउ किउ प्रसुहरु ता कहइ महामुणि राणियहे aण नादत्तु वहुवित्थिय हे तो नायदत्त नामें पमया पेक्खेप्पिणु वणि निविन्नमई तउ करेवि समाहिप्र मुक्कवउ
सिरिचंदविरइयउ
१ अभियहि ।
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अच्छेज्जसु नियभज्जा जुउ । पाज्जसु लेवि जुवाणु हुउ । दंतिउरि तइउ सावंतु तउ । हउँ तुज्झागमणु नियंतु थिउ । चिरयालि पउत्तउ । किं मुणि भणहिँ जुत्तउ || १९||
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घत्ता -सहुँ प्रज्जहिँ भवियणपुज्जहिँ एक्कहिँ दितियणमुणि । नंदणवणु समाहिगुत्तमुणिहे ||२०||
गय वंदहत्ति नियदुहत्ति
[ १६. १६. ७
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दे सुउ वड्ढारमि नेवि घरे । लइ छिज्जउ भाउय सावरिणं । सुपयत्तु करेज्जहि नंदणहो ।
सहरि सिसु एवि खयरु । ताए वि वरायरेण गहिउ । एत पोमावइ गय नयरु । अज्जियहि' पासि उवसमरयहे ! कइवयदिहिँ रोय हुया ।
धत्ता - तत्तो चुउ चंपापुरि हुउ धाडीवाहणु नरपवरु । वसुपालहो पुहईपालहो सुउ वसुमइहे मणोहरु ||२२||
मुणिणा वि पयासिय धम्मगई । विन्नविउ भडारउ राणियए । परमेसर परमपसाउ करि । जें जाउ विप्रोउ प्रणत्थकरु । वल्लहविप्रोयविद्दाणियहे । हत पुरी सावत्थियहे । घरविप्पें समउ कुकम्मि रया । मेल्लेप्पिणु घरु संजाउ जई । भुत्तरु नामें सग्गु उ ।
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