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सिरिचंदविरइयां
[ १६. २. ४परमरूवसोहाहिरामो
पुरिसवेसु सइँ नाइँ कामयो। राउ रायपंथे पइट्टो
सो न जेण हरिसें न दिट्टयो। ५ सहुँ सहीहिँ सयवत्तवत्तिया
चउपहम्मि चोज्जं नियंतिया । तरलनयण नवजोव्वणत्तिया
नाइँ कामएवस्स कत्तिया। किंकिरायकणियारगोरिया
नाइँ तरुणसारंगगोरिया । राणएण सव्वंगसुंदरी
दिट्ठ कन्न नं नायसुंदरी। घत्ता-पोमावइ नामें नावइ सयमेवाइय मीणइ ।
अहवा सइ सिंधुरवरगइ लच्छि रंभ उव्वसि रइ ।।२।।
५
चिरकम्मवसेण समावडिया
सहसत्ति कुमारि चित्ते चडिया । चितंतु ताहे संजोयरसु
संजाउ महीवइ मयणवसु । गउ दुम्मियमणु घरु सुद्धि हुया
जाणिउ जिह मालायारसुया । पहुचित्तु वियाणिवि वाहरिउ
सुहिसयणहिँ कुसुमदत्तु तुरिउ । मग्गिउ पुहईसहो नियदुहिया
दिज्जउ छणयंदरुंदमुहिया। बहुपुण्णवसेण एउ घडइ
जं जोग्गहीं जोग्गु समावडइ । इय चितिवि जणमणमोहणिया
सुय तेण समप्पिय सोहणिया । परिणिय पुहईसें हुउ हरिसु
मालियाँ विइण्णु गामसहसु । वल्लहिय हूय नववहु वरहो
नं रुप्पिणि गोवद्धणधरहो। घत्ता-तग्गयमणु पहु एक्कु वि खणु जीवइ ताइँ विणा नउ ।
रइरत्तहो तहिँ अच्छंतहो एक्कु मासु वोलीणउ ।।३।।
एक्कहिँ दिणि राएँ रूवु तहिं संचितिउ एह विमुक्कमला जाणिज्जइ अायारेण कुलु निच्छउ तेणेह मरालगइ चित्तम्मि एउ प्रवधारियउ पुच्छिउ कहि सच्चु पसन्नमुह तुह पुत्ति एह किं वापरहो
अवलोरवि सीलु आणावमहि । सुंदरि न होइ सामन्नकुला । मणुयहो पडिवयणे बुद्धिबलु । मालियसुय सुयणु न संभवइ । पुणु कुसुमदत्तु हक्कारियउ । मा वीहहे अभयपदाणु तुह। भासइ सो सविणउ नरवरहो ।
३. १ पहुचित्ते।
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