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१५. ८. १७. ] कहकोसु
[ १७१ नियकरकवलु दियंबर देसइ
किमियमदिट्ठपुव्वु चिंतेसइ । चितंतहो तो नाणु हवेसइ
तेणासेसु कि परियाणेसइ । मुणिवि आउ सन्नासु करेसइ
सावएण सहुँ सग्गु गमेसइ । तइयहुँ अरुहधम्मु नासेसइ
राउ वि वज्जासणिण मरेसइ । निंदणिज्जनरयहो जाएसइ
अवरु वि प्रायण्णह जं होसइ । कत्तियमासामावसवासरि
साइरिक्खे उययंति दिणेसरि । सग्गो अवहिनाणगुणधारण
गट सिरिसायरचंदे भडारण। धम्मनासु होसइ पुव्वण्हए
निवइकुलक्खउ पुणु मज्झन्नए। १० अवरणहए हुयवहु नासेसइ
सयलु वि जणु कच्चउ भुंजेसइ । घत्ता-आसाढहाँ पुण्णिमदिणि रयणिविणिग्गमणे ।
एसइ समउ समत्तिहे कलि रविउग्गमणे ॥७॥
सावणपढमदिवसि पइसेसइ संपवेसि तहो दुरयणि तणुयहाँ करपमाणु सोलह वरिसाउसु एहु वि आसाढहो समचंदिणो तासु सहाउ काइँ किर सीसइ पलयकालु सव्वहँ मि हवेसइ सोसहु सलिलु सव्वु आवेसइ सत्त रत्तु वज्जग्गि पडेसइ सत्त पयंडवाउ वाएसइ सत्त जे गरलवारि वरिसेसइ सत्त कसायउ कडुयउ तिक्खउ पुणु अमिनोवसु तत्थ निरंतर वेयड्ढहो गुहासु पइसेसहिँ तेहिँ पुणो पयसिट्ठि करेवी पियरसयणसंबंधविवज्जिय सयल वि सयलोवायविहीणा गिरिसरिसायरनियडनिवासिय
अइकलिकालु रउदु हवेसइ । वीस वरिस परमाउसु मणुयहो । तहो निग्गमणे हवेसइ माणुसु । समउ समाणे चउ पुण्णिमदिणे । सुंदर जत्थ न कि पि वि दीसइ। ५ वासरसामि अईव तवेसइ । मेइणि निरवसेस फट्टेसइ । सधराधरघरित्ति डझेसइ । कुलिसइलायलु पयडू हवेसइ । सत्त पुणो खारंबु सवेसइ। अवर सत्त कंजियसारिक्खउ । थलि उप्पज्जेसहि बीयंकुरु । बाहत्तरि परिजुयल जिएसहिँ । इत्थीपुरिसहिँ भूमि भरेवी । नग्गा पसुसमतल्ल अलज्जिय । १५ खरफरुसंगा वाहिविलीणा । कंदमूलफलदलमंसासिय ।
७. १ प्रवहिनाणु गुणधारए ।
२ धम्म नासु ।
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