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होएप्पिणु सच्छंद वि दुक्खिय
केम रहेसइ वेयड्ढायलु भइ महामुणि निसुणि महामइ मेल्लिवि अज्जखंडमज्झिमु सुय तेसु दुमसुम हो परसंतइ हाण मुणिकरतणु कयहरिसहँ पंचसरा सणसय देहुन्नइ अवरु न किंपि प्रत्थि हीणाहिउ पंचेरावसु भरेहसु वि
नत्थि विदेहि अन्नु कयदुक्ख उ
१०.
घत्ता – एउ सुप्पिणु संसयभावंधारहरु |
इदुसमि दुसमुपइसेसइ तो पवेसि दुरयणि देहुच्छउ हँ सिहं स वीसुत्तरु वरिससहाससेसि तहिँ सुहयर नामइँ तहँ इमाई सुणेज्जसु कणयारउ तह तइउ पसत्थउ
१ नरवइ ।
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सिरिचंदविरइयउ
पुच्छिउ पुणरवि राएँ गणहरदिवसयरु ||८||
पंचमु कणयपुंगवुद्दिट्ठउ सत्तमु नलिणप्पहु जाणिज्जइ राणउ नलिद्धड निरु' नवमउ एयारह होइ परमप्पहु पउमकेउ पत्थि तेरहमउ
[
जीवेसहिँ चिरदुरियनिरिक्खिय ।
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घत्ता -भासइ गोत्तमसामि सुम्मउ पत्थुयउ ।
हँ होसहि तित्थंकरु तुहुँ सुरसंथयउ ॥ ९॥
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किं न पडेसइ तहिं वज्जाणलु । नत्थ खयाल कुलिसग्गिहे गइ | न पड पंचमेच्छखंडेसु य । अण्णकालु न कयावि पवत्तइ । जीवि पंचुत्तरु सयवरिसहँ । पुव्वकोडि परमाउसु मन्नइ । सेणिय सम्मइनाहिं साहिउ । एस को जासु सव्वेसु वि । मेल्लिवि कालु दुसम सुसमक्खउ ।
१५. ८. १८
वीस वरिस परमाउसु होसइ । होसइ जणवउ बुद्धि तुच्छउ । जीवेसइ तणुमाणे मुणिकरु । चउदह उप्पज्जेसहिँ कुलयर | कण कणयपहु वीउ भणेज्जसु । कणकेउ भासियउ चउत्थउ । [नलिणनामु छट्टउ पुणु सिट्ठउ । अट्ठमु नलिणराउ सुभणिज्जइ । ] तह पुंगमु नलिणाइउ दहमउ । पउमराउ बारहमउ सुप्पहु । पुंगमु पउमाइउ चउदहमउ ।
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