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________________ संधि १४ सवडम्मुहु सव्वण्हु पेक्खेप्पिणु अणुराएँ । पणवेप्पिणु पारद्ध थुणहुँ भडारउ राएँ ।। जय जय परमेसर परममेह जय भुवणावयसिहिसमणमेह । जय पउलोमीपियपणयपाय जय दूरोसारियनरयपाय । जय अट्ठमहामयमयकिराय जय तणुतेयाहयकिकिराय। . ५ जय दुग्गइदुक्खसमुद्दपोय जय कामकुंभिपंचासपोय । जय भुवणबंधु बंधवविहीण जय भव्वकमलबोहण विहीण। जय विसमविसयविसहरविराय जय सत्तुमित्तसममण विराय । जय सिद्ध बुद्ध सिव परमहंस जय सीलसरोवरपरमहंस । जय दूरीकयमायापवंच जय जाणियनिहिलजयप्पवंच । १० जय सधरधराधरणेक्कसेस जय सामिय दुद्धरवयविसेस । जय उक्खयमोहणविडविमूल जय सिद्धिपियापट्टवियमूल । जय जय तिसल्लभंजणसमत्थ जय कोहविमुक्क महासमत्थ । तुहुँ कामधेणु कमणीयकाउ पइँ पालिउ छज्जीवहँ निकाउ । तुहुँ सासयपुरपहसत्थवाहु पइँ न किउ किवावरसत्थवाहु। १५ तुहुँ निक्कलंकु सयलावलोउ तुह कित्ति धवलीक उ तिलोउ । तुहुँ देवदेउ जगगुरु न भंति तुह भत्तहँ भवकाणणे न भंति । तुहुँ चितियदाइ दुहोवसामि हउँ अन्नु न मग्गमि कि पि सामि । घत्ता-सासयसोवखनिवासु भवि भवि भवभयवज्जिय। नियचरणोवरि भत्ति महुँ दिज्जउ जयपुज्जिय ॥१॥ . २० इय जिणु थुणेवि पत्थिववरिठ्ठ जिणवयणहो निग्गय दिव्ववाणि तस थावर ते वि बहुप्पयार दो दोस तिकाल तिभेयपत्तु गइ गारव गुण गुत्तीउ तिन्नि चउ सन्नउ बंध वि चउ कसाय वय विणय समिदि सज्झाय पंच मणि बंदिवि नरकोटुए वइछ । तहिँ निसुणिय तेण दुभेय पाणि । अणुहुत्तसुहासुहकम्मभार । सल्लत्तउ रयणत्तउ पवित्तु । जग जोय वेय मरु मूढ़ तिन्नि । आराहण गइ चउ सुरनिकाय । पंचत्थिकाय परमेट्टि पंच । ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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