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________________ १३. १५. ४ ], कहको [ १५७ ५ देवंगवत्थपच्छाइयउ चउदिसि जिणबिंबविराइयउ । सुरतरु वरमालोमालियउ भत्तिण भव्वेहि निहालियउ । गुमुगुमुगुमंतमत्तालिगणे चंपउ चंपयवणि सुहपवणे । सत्तच्छउ वणि सत्तच्छयाहँ पवरायइ अंबउ अंबयाहँ । चउगोउर पुणु वि सुहावणिया वणवेइय कलहोयहां तणिया । सामीवइ ताहे दिसासु गया मालावत्थद्धयमोरधया । कमलद्धयहंसखगिंदधया केसरिगोविसकरिचक्कधया । अट्ठोत्तरपडिधयसयसहिया सोहंति विचित्तायमे कहिया । घत्ता-बहुसीसउ लद्धपसंसउ गुरु विव जणमणचित्तयरु । लिहियंबरु चउगोउरवरु पुणु पायारु विचित्तयरु ॥१३॥ १० १४ जहिँ मरगयदंडासत्तकरा पवलिहिँ पडिहार नायकुमरा । पुणरवि धूवहडनट्टहरई नवरसजुत्तइँ जणमणहरई ।। पुणु कप्पमहीरुह सोक्खयरा पुणु जंबूणयवेइय पवरा । बहुमंगलदव्वविराइयइं चउदारइँ पुणु विमहाइयइं। तारावइकंतसियच्छविया अणवरयवेणु वीणारविया । दिव्वंतदेवनियरावरिया पासायपंति सुमणोहरिया। नव नव अइउन्नय नाइँ धरा मणिपुंजविचित्त तमोहहरा। रयणमयइँ रंजियजणमणइं पुणु पंतिनिवद्ध तोरणइं। पुणु मुणिसहमंडवधम्मकहा तोसिय खयरामरमणुयसहा । पुणरवि गरुययरु अणोवमउ पायारु परिट्ठिउ फलिहमउ । घत्ता-तहिँ किर कप्पुब्भव नाइँ मणुब्भव देवदिवायरतेयहर । इंदाण जत्थ पहाण, दारवाल थिय दंडकर ।।१४।। १० प्रायासफलिहनिव्वत्तियउ ताणुप्परि मणिमंडवु सहइ सोलहसोवाणहिँ सोहियउ थिउ पीढु मणोहरु मज्झे तहो तो लग्गेवि सोलह भित्तियउ । जो सरयणगयणलील वहइ । वर वेरुलिएहिँ पसाहियउ । भुवणत्तयपीढु नाइ नहहो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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