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१५४ ] सिरिचंदविरइयउ
[ १३. ५. ५पेट्टारउ कंचुलिया सहिउ
ता सासुयाण धुत्तिए डहिउ । ५ एत्तहिँ वसुमित्तु पहाण तहिं
आयउ पइसरहुँ करंडु जहिं । पेक्खेप्पिणु दड्ढु नियासिरउ
हुउ सव्वकालु नरु नयनिरउ । आणंदिउ बंधवसयणगणु
जायउ विभियमणु सयलु जणु । घीयहे सुहकारणु जेम तए
पज्जालणि पेट्टारयहो कए । अहिदेहु मुएप्पिणु असुहयरु
सुहि सव्वकालु सो जाउ नरु। १० ___ घत्ता--हरिलोयही निरुवमभोयहो गयहँ तेम मइँ ताहँ तणु ।
दहणत्थं परमसुहत्थं सामिसाल जालिउ जलणु ॥५॥
पुणरवि आवेप्पिण् दुक्खभरे
पइसंति न जेम सरीरघरे । तवचरणु वि एउ निमित्तु तहु
पाविज्जइ जेण अणंतु सुहु । मेल्लेप्पिणु माणवकुणिमतणु
जं होइ मुरारिलोयगमणु । कज्जेण एण सिहि जालियउ
पहु मइँ न को वि खन्भालियउ । भल्लेण विरूवउ होइ जहिं
बोलिज्जइ किज्जइ काइँ तहिं। ५ ।। प्रायण्णांव एउ धराहिवइ
थिउ मोणु करेप्पिणु कुवियमइ । एक्कहिँ दिर्ण किंकरपरियरिउ
पारद्धिहे नरवइ नीसरिउ । अडविहि पइसारि समप्पपरु
परमेसरु अवहीनाणधरु । घत्ता-मुणि जसहरु पेच्छिवि जसहरु पडिमाजोएं दुरियहरु ।
कहिँ दिट्ठउ एहु अणिट्ठउ असउणु कज्जविणासयरु ॥६॥ १०
इय चितिवि सुमरिवि पावहिउ अइरोसवसेण मुणीसरहो वहहेउ कयंत व जणियभया मुणिमाहप्पेण विणीय किया ते निवि नरिंदे निप्पसरा मुणिनाहो होवि पुप्फपयरु पुणु सप्पु घित्तु मुउ झत्ति गले रिसिवहपरिणामें तहिँ समए बताउ हवेप्पिणु उवसमिउ
गुरुदोहु महाएवीण किउ । पुहईसरेण परमेसरहो।। सुणहाण विमुक्का पंचसया । दाऊण पयाहिण पुरउ थिया । करे करिवि सरासणु मुक्क सरा। ५ चलणोवरि वडिउ बाणनियरु । तवयरणकरणणिट्ठवियमले। नरयम्मि नरेसरु सत्तमए । तं चोज्जु निएवि मुणिर्ह नमिउ ।
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