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________________ ११. १७. ४. ] कहकोसु ५ आयण्णेवि एउ मुणि भासइ वणिहे वइरसंबंधु पयासइ । निसुणि सुयण संपयसंपुण्ण चिरु हत्थिणापुरम्मि' रवण्णए । अग्गि व अग्गिभूइ नामालउ होतउ बिप्पु जइणपडिकूलउ । सो वाएण न केण वि निज्जिउ पइँ पर सुंदरबुद्धि परज्जिउ । कयपइज्जु राएँ वित्थारिउ करिवि खरारोहणु नीसारिउ । अवमाणेण गपि वणु तावसु जाउ अजाणियपरमागमरसु । तत्थ मरेप्पिणु दुप्परिणामें हुउ रयणीयरु कालिउ नामें । मज्झि समुद्दही जाणिवि खुद्दे किउ तउ तेणुवसग्गु रउद्दे। तुहुँ दिढदसणु देवहिँ पालिउ पहउ हयासु रहंगें कालिउ । धत्ता-निसुर्णवि धम्मरुइ मुणिवयणु . जणु जाउ सव्वु जिणधम्ममणु। सुंदरमइ निव्वेइं लइउ जिणदासु वणीसरु पव्वइउ ॥१५॥ ॥ एवं दसणममुयत्तक्खाणं गदं ॥ १० १६ अवर वि ायण्णह महसत्ता कहमि कहा सणु अमुयंतहो । लाडदेसि महुरक्खरभासए दोणिमंतपव्वयही सयासए । पुरि गुलि गोद्दहम्मि गुणवंतउ वणि जिणदत्तु अत्थि जिणभत्तउ । कंत तासु जिणदत्त महासइ पुत्ति मणोज्ज ताहे हुय जिणमइ । अवरु वि तत्थ परममाहेसरु नायदत्तु नामेण वणीसरु । अत्थि नायदत्ताण पसूयउ रुद्ददत्तु तहो पुत्तु सरूयउ । तासु निमित्तेण य सुंदरमइ मग्गिउ पिउ जाएप्पिणु जिणमइ । जिणदत्तेण भणिउ भो तुम्हइँ माहेसर वरसावय अम्हइँ । माहेसरसावयहँ सलक्खण केरिसु भणु संबंधु वियफ्षण । धत्ता-पायणेवि नायदत्तु चबइ जइ किज्जइ तो निच्छउ हवइ। १० धम्मो एक्को च्चिय भिन्नु नउ दिन्नस्स वि नत्थि कयावि खउ ।।१६।। १७ कि बहुणा भणु हउँ वि निरुत्तउ एम भणेवि गंपि तवसाहो छड्डिवि सिवपन्नत्तु सपुत्ते परिणिवि जिणमइ जिणमउ चत्तउ १५. १ पत्थबपुरम्मि। लेमि धम्मु सव्वण्हुपउत्तउ । पासि समाहिगुत्तमुणिनाहहो । लइउ जिणिंदधम्मु फणिदत्तें । भासइ रुद्ददत्तु हरभत्तउ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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