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सिरिचंदविरइयर
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१०.१०.१
निप्पाएप्पिणु पाउस िवड्ढिउ ताण पवित्तु ।
तं पर भोयणु सो करइ हरिपाराहणचित्तु ।। परिवायपायपंकयअलिणा
यजमाणे तेण कयंजलिणा। धुत्तहो जणमणसयपंजरहो
नावइ दहिहंडिय मंजरहो। पणवेप्पिण रंजियजणमणिया
तहो तणय समप्पिय अप्पणिया। ५ होज्जसु पुत्तिण सिरि पाय परा
अणुदिणु सा भत्ति करेइ वरा । कालें जंतें अणुरत्तमई
अवरोप्परु दोहँ वि हूय रई। पच्छन्नहँ माणंतहँ सुरउ
गउ वासारत्तु पत्तु सरउ । विप्पो सुय अहिणवपेम्मभरु
गउ रयणिहिँ लेवि सुवण्णखरु । निसुणेप्पिणु सोयविसंठुलउ
संजायउ विप्पु सुदुब्बलउ। १० सोयाउलु निवइहे पासु गउ
तं निवि निवहो कारुण्णु भउ । घत्ता–पेक्षेवि अवत्थ तारिस तासु सीसु धुणिउ ।
रुद्रुण निवेण वाहरिवि तलवरु भणिउ ।।१०।।
रे रे जोएप्पिणु तुरिउ गंपिणु सव्वदिसासु ।
बंधेप्पिणु सो दुट्ठमणु प्राणहि भगउ हयासु ॥ सव्वत्थ वि तेण स जोइयउ
कत्थई पच्छन्नु पलोइयउ । सहुँ बंभणधीयण दावियउ
आवेप्पिणु रायो दावियउ । तेण वि धम्माहियारकरणु
पुच्छिउ कयदोसदण्डकरणु । तेण वि उवएसिउ सामियहो
सनयो अनीइउवसामियहो । जो कन्नासाहसु आयरइ
किज्जइ न देव तसु आयरइ । पासंडिउ सिवपयमइमनउ
मारिज्जउ निज्जउ खयमनउ । ता राएँ रक्खसभीमवणे
नामेण पिउवणे भीमवणे ।। उल्लक्कं दाविवि विहियरउ
माराविउ सो लहु विहियरउ । १० दुहियाहे समागमेण ससुही
तो सोमसम्मु संजाउ सुही। घत्ता-तहे मरणविहाणु सुर्णेवि सिणेहें संचलिय ।
बंभणसु र पाव गय तहिँ सोयविसंतुलिय ।।११॥
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