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सिरिचंदविरइयउ
[ ७. २. १
वस्तु-अवर सुंदरि ताहि उप्पन्न
सुय नामें नायसिरि वच्छदेसि कोसंबि पुरवरे । जिणदत्तु नराहिवइ अत्थि अत्थि अत्थिन मणोहरे ॥ परिणेप्पिणु जिणधम्मरइ सो तर्ह वल्लहु जाउ ।
जोग्गु करग्गहु जोइ करि हुउ सयणहिँ अणुराउ ।। अहियत्तु सव्वविन्नाणपारु
पत्तउ नवजोव्वणु नाइँ मारु। धम्मोवरि मणु न करइ कया वि
सिक्खइ अब्भासई सो सया वि। बहुतंतइँ मंतइँ गारुडाइँ
वड्डावइ भूयइँ पेरुडाइँ। एत्तहि पियधम्में पउरलोइ
चितइ कहियहुँ निव्वाहु होइ। जइ तो महु जायण पुण्णबंधु
लइ करमि सच्चु आयो निबंधु। १० ता अोहिन वइयरु सव्वु नाउ
हा अज्ज वि भाइ अधम्मभाउ। हा अज्ज वि न हवइ वीयराउ
हा अज्ज वि अव्वावारराउ । कि बहणा कयजरमरणजम्मू
बलवंतउ सयलहँ होइ कम्मु । इय चिंतिवि तहो संबोहणत्थ
तत्थाउ सप्पपेटारहत्थु । नवघणगवलंजणवण्णबिंबु |
रत्तच्छु भीमु होएवि डोंबु । १५ । पुरमज्झि पइठ्ठ भमंतु एउ
आहिंडइ मायाडोंबु देउ । भो अहिखेलावउ जो सहोडु
एत्थत्थि एण सो करहुँ कोडु । . . खेलावहुँ सप्प निएवि सत्ति
अन्नोन्नु पयासहुँ जणि सकित्ति । धत्ता-अहिदत्ते प्रायण्णेवि इउ भणिउ पाणु रे भीममुह ।
खेलावमि हउँ विसि विसमय पूरिपूरमि कोड्डु तुह ॥२॥ २०
वस्तु-भणइ अंतजु रायपुत्तेहिँ
वीहामि तुम्हेंहिँ सहु सप्पकील सुंदर करतउ । जइ कहव पमाउ तुह होइ मरणु तो महु निरुत्तउ ।
तो निवपुत्ते धीरियउ दूरुज्झहि भयभाउ । .... मुअ फणि अन्नोन्नु जि दुइ वि बुज्झहुँ मंतपहाउ ॥ करेप्पिणु सव्वसहा नृवु सक्खि
पमोक्कु तिणेक्कु तो मरुभक्खि । परिंदसुएण वि सो विविहेहिँ
पसाधिउ भेयहिँ दिन्नसुहेहिँ । पउत्तु पुणो वि अरे अहि डोंब
पमेल्लहि वीउ जमंजणबिंब ।
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