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६. १६. ५. ] , : कहकोस् ।
[ ७१ भासिउ गोत्तमेण घणघोसें । हुउ तमु तो गुरुनिण्हवदोसें। १० एउ मुणेवि एवि मगहेसें
भणिउ सेयसंदीउ विसेसें। भयवं तुम्हए एसु न जुज्जइ
जं गुरुदेवहो निण्हव किज्जइ। गुरुनिण्हवणो अन्नु न दुक्किउ
मइँ वि असंसउ एउ वियक्किउ । जइ पत्तियह न तो नियदेहहो . पेच्छह नळु तेउ तवगेहहो । घत्ता-इय भासेवि सिक्खावेवि मुणि तप्पयपणयंगउ ।
१५ - बहुजाणउ घरु राणउ इयरु वि गुरुपासं गउ ॥१७॥
दुवई-निंदणगरहणाग काऊणाणुट्ठियपायछित्तो । काले सुद्ध बुद्ध हुउ केवलि पयपाडियजयत्तयो ।
॥ निण्हवणकहा समत्ता ॥ मगहामंडले मयणसमाणउ
रायगेहिपुरि पीणियदीणउ । वीरसेणु नामेण पहाणउ ..
अत्थि राउ भग्गारिपहाणउ । पुत्तु पुण्णवंतहो सुच्छायउ ।
वीरसेणमहएविण जायउ। सुहगइ सीहु भणिज्जइ नामें
सो सुंदर सलहिज्जइ कामें । एक्कहिँ वासरे विप्पडिवन्नहो
रायहो उवरि सीहरहसन्नहो । को सो किं न पई सइँ भासिवि
गउ मागहनरवइ आरूसिवि । दूसिउ जणवउ रिद्धिविसालउ
रुद्धउ पुरु सुंदरु सोहालउ । किज्जइ निच्चमेव उवकालउ
तो वि न पणमइ पोयणपालउ । १० कयकोट्टारोहेणच्छंतें
एक्कहिँ दिवहे अराइकयंतें । चितिउ बहुसहायसामत्थउ
विसमु विइरि अन्नु वि दुग्गत्थिउ। जाणइ नउ कइयहुँ वसि होसइ
केत्तिउ कालु एत्थ लग्गेसइ। घत्ता-एक्कु जे सुहु महु तणुरुहु सो अज्जु वि अपढंतउ।
अच्छइ घरे हंसु व सरे पयणियसुगइपयत्तउ ।।१८॥
दुवई-सो नउ बप्पु माय सा वेवि विवक्खइँ ताइँ निच्छउ। .......
जेहिँ न बालभाव सुउ पाढिउ हक्कवि संकिणुत्थउ ।। लालणु णाणांदोसहुँ कारणु .
ताडणु फुडु गुणोहहक्कारणु । वरिसइँ अट्ठ जाम लालिज्जइ
पुणरवि मत्त ताइँ ताडिज्जइ। मुणिवि वरिसु सोलहमउ संतउ
मित्तु वः दीसइ पुत्तु निरुत्तउ। ५
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