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७० ] सिरिचंदविरइयउ
[ ६.१५. ७सुमरइ विरहिउ पियसंसग्गु व
सुमरइ चक्कु उयंतु पयंगु व । सुमरइ ससहरु छणदिणणत्तु व सुमरइ लोउ सधम्मु नरिंदु व
सुमरइ भवभयभीउ जिणिंदु व । घत्ता-हंसु व सरु पहिउ व घरु विझु करी व सया वि हु।
पइँ गुणगुरु सुमरइ गुरु नउ वीसरइ कया वि हु ।।१५।।
दुलई-एम भणेवि तेहिँ तहिँ होंतु महामुणि दिव्वनाणियो ।
मन्नावेवि कालसंदीवुज्जेणीनयरमाणिो ॥ निद्धणतणएण व बहुकसवरु
तिसिएण व पहिएण महासरु । सिद्धेण व संभाविउ सिवपुरु
नरनाहेण पलोइउ नियगुरु । परिश्रचिवि अंचिवि सविहोएँ
थुणिवि मुणिंदु चंदपज्जोएँ। पणवेप्पिणु कयदोसावायहीं ....। विरइउ पट्टबंधु तप्पायहो । अच्छवि तत्थुवसामिवि जणवउ
देवि गउरसंदीवनिवहु तउ । समउ तेण विहरंतउ संतउ
पट्टणु रायगेहु संपत्तउ ।। तत्थ विउलगिरिसिहरि रवण्णउ
सम्मइसमवसरणु अवइण्णउ । विण्णि वि ते तहिँ वंदणहत्तिण
जंति निच्च कयसोक्खुप्पत्तिए। १० समवसरणबाहिरि उवविट्ठउ
एक्कहिँ वासरि पालियनिट्ठउ । साहु गोरसंदीउ णियच्छिउ
वंदिवि सेणियराएँ पुच्छिउ । घत्ता-कहि को गुरु अम्हहँ गुरु दुद्धरु कयकम्मक्खउ ।
संगहियउ जयमहियउ जासु पासे परिदिक्खउ ।।१६।।
दुवई-लज्जागारवेण गहिएण पउत्तउ तेण रायहो ।
जयसामियीं सीसु हउँ देवहीं वीरही वीयरायहो । गउ आयण्णिवि एउ नरेसरु
गुरुनिण्हवदोसेण मुणीसरु । हासकाससंकासरवण्णउ
हुउ इंगालधूममसिवण्णउ । वड्ढमाणु जिणनाहु नमंसिवि
साहुसंघु दुक्किउ विद्धंसिवि । सेणिउ सहुँ सेन्नेण समायउ
सियसंदीवदेह विच्छायउ। पेच्छिवि विभियचित्तु नियत्तउ
पुच्छइ गोत्तममुणि नयगत्तउ । किं भयवंत सेयसंदीवहीं
दुक्कियकम्मंधारपईवो । हिमहरहारहंसससिकायउ
अलितमनिहु सरीरु संजायउ ।
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