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सिरिचंदविरइयउ
[ १. ३. १
बीहत्थहो खलु खयभावियहो.... दुग्गंधसहावहाँ तावियो । कयघणहु सरीरहो एउ फलु ।
जं किज्जइ संजमु वउ विमलु । गउ जिह रयणायरम्मि रयणु
दुल्लहु मणुयत्तणु तिह जि गणु । बहुजोणिसहासु भमंतु जिउ
चिरु दुक्खसयाइँ सहंतु थिउ । नडु नावइ नाणारूवधरु
वहुभेयाणेयकसायकरु । जुयसविलानाएँ कह व पुणु
अणुसरइ सरीरी मणुयतणु । अहखल्लविल्लजोएण जा
पावइ मणुयत्तणु पावखन । पवणाहउ पत्तु भमंतु जिह
तं ठाणु लहइ मणुयत्तु तिह । घत्ता- पत्ते वि पवित्तं फुडु मणुयत्ते देसु वंसु वउ सोहणु।
- नउ नीरोयत्तु पावइ वित्तु सुयणसंगु संबोहणु ।। ३ ॥ १०
अह एत्तिउ सवणगहणु लहइ
तो ऊहापोहु न सभवइ । अन्नाणु कुमग्गें संचरइ
गुरुउवइट्ठउ हिउ । उ करइ । आवज्जइ दुक्किउ दुग्गइह
पइसरइ पुरणो पउरावइहे । इय भाविवि पाविवि मणुयभउ
सुइखेत्तु सुगोत्तु पसत्थु वउ णिरु गु [रुव-] बुद्धिलद्धोववउ
किज्जइ जिणनाहपउत्तु तउ । । ५ नीसेसह कम्मो करिवि खउ
पाविज्जइ जेण महंतु पउ। तउ लेवि निवारिउ जेण मणु
तो हत्थगेसु सासयरुवणु। विणु झाणज्झयणहिँ सासुगइ
न वि बज्झइ विणु वरणाणवइ । किं तवण परस्सुसु जासु मणु
तहो पुरउ परिट्ठिउ भवभमणु । घत्ता-चितिज्जइ चारु मोक्खदुवारु अप्पसहाउ म यंजहि ।
तं लब्भइ झाणु दुक्खवसाणु कहिउ कसायकयंतहिँ ।। ४ ।।
अज्झयणं सत्थत्थब्भासो पंचक्खाहियविसयनिरोहो दसणणाणचरित्तपयासो सज्झायम्मि पसत्ता वइणो अन्नो नो सज्झायसमाणो तेण सया सज्झाए पयत्तं अज्झयणे य कइत्तविसेसो
पउपयरिणयधम्मंघिवपोसो। नाणागुणसोवण्णो गेहो। दुक्कियकम्मन्नाणनिरासो। होइ निरोहिय निरयणगइणो। अस्थि तवोहु तवारण पहाणो। कायव्वं मुरिणणाहोरत्तं । दूरीकयकम्मासवदोसो ।
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