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________________ २ ] सिरिचंदविरइयउ [ १. ३. १ बीहत्थहो खलु खयभावियहो.... दुग्गंधसहावहाँ तावियो । कयघणहु सरीरहो एउ फलु । जं किज्जइ संजमु वउ विमलु । गउ जिह रयणायरम्मि रयणु दुल्लहु मणुयत्तणु तिह जि गणु । बहुजोणिसहासु भमंतु जिउ चिरु दुक्खसयाइँ सहंतु थिउ । नडु नावइ नाणारूवधरु वहुभेयाणेयकसायकरु । जुयसविलानाएँ कह व पुणु अणुसरइ सरीरी मणुयतणु । अहखल्लविल्लजोएण जा पावइ मणुयत्तणु पावखन । पवणाहउ पत्तु भमंतु जिह तं ठाणु लहइ मणुयत्तु तिह । घत्ता- पत्ते वि पवित्तं फुडु मणुयत्ते देसु वंसु वउ सोहणु। - नउ नीरोयत्तु पावइ वित्तु सुयणसंगु संबोहणु ।। ३ ॥ १० अह एत्तिउ सवणगहणु लहइ तो ऊहापोहु न सभवइ । अन्नाणु कुमग्गें संचरइ गुरुउवइट्ठउ हिउ । उ करइ । आवज्जइ दुक्किउ दुग्गइह पइसरइ पुरणो पउरावइहे । इय भाविवि पाविवि मणुयभउ सुइखेत्तु सुगोत्तु पसत्थु वउ णिरु गु [रुव-] बुद्धिलद्धोववउ किज्जइ जिणनाहपउत्तु तउ । । ५ नीसेसह कम्मो करिवि खउ पाविज्जइ जेण महंतु पउ। तउ लेवि निवारिउ जेण मणु तो हत्थगेसु सासयरुवणु। विणु झाणज्झयणहिँ सासुगइ न वि बज्झइ विणु वरणाणवइ । किं तवण परस्सुसु जासु मणु तहो पुरउ परिट्ठिउ भवभमणु । घत्ता-चितिज्जइ चारु मोक्खदुवारु अप्पसहाउ म यंजहि । तं लब्भइ झाणु दुक्खवसाणु कहिउ कसायकयंतहिँ ।। ४ ।। अज्झयणं सत्थत्थब्भासो पंचक्खाहियविसयनिरोहो दसणणाणचरित्तपयासो सज्झायम्मि पसत्ता वइणो अन्नो नो सज्झायसमाणो तेण सया सज्झाए पयत्तं अज्झयणे य कइत्तविसेसो पउपयरिणयधम्मंघिवपोसो। नाणागुणसोवण्णो गेहो। दुक्कियकम्मन्नाणनिरासो। होइ निरोहिय निरयणगइणो। अस्थि तवोहु तवारण पहाणो। कायव्वं मुरिणणाहोरत्तं । दूरीकयकम्मासवदोसो । ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001367
Book TitleKahakosu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechandmuni
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1969
Total Pages675
LanguageApbhramsa, Prakrit, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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