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कडवक
१. प्रत्याख्यान के अखंड पालन पर श्रीपाल कथा - बिन्नाट देश, तलाटवी पुर, शिवारि राजा, श्रीमती रानी, शल्यपति मंत्री, पत्नी श्रीदेवी । श्रीपाल कुमार । आषाढ़ शुक्ला चतुर्थी के अपरान्ह में गुरु समीप पंचमी व्रत ग्रहण हेतु गमन । गुरु वन्दना ।
२.
माता द्वारा व्रत ग्रहण देख श्रीपाल का भी व्रत ग्रहण | माता की हास्य पूर्वक स्वीकृति | बालक का भोजन निषेध |
( १११ )
संधि - ५१
३. सायंकाल कुमार की तृषा वेदना । गवाक्षजाल से प्रकाश दिखला कर सूर्योदय भ्रान्ति का प्रयत्न । किन्तु कुमार की दृढ़ता ।
४. गणी को बुलाकर सूर्योदय का साक्ष्य । तथापि कुमार की व्रत निष्ठा । दुस्सह शरीरदाह । मरण । स्वर्गवास ।
५. उच्छिष्ट भक्षण व प्रायश्चित पर राजपुत्र कथानक - दक्षिण देश, किंशुकपत्तन पुर, विजयादित्य राजा, नर्मवादी वणीन्द्र । दुर्भिक्ष । भोजन के समय एक क्षत्रिय युवक का श्रागमन व उच्छिष्ट भक्षण । सेठ द्वारा विधिवत् भोजन का श्रामंत्रण | ६. यथेच्छ भोजन, ताम्बूल ग्रहण, बहिर्गमन । उच्छिष्ट भोजन पर घृणा व छुरी से उदर विदारण | श्रावक का आगमन व संबोधन । समाधि पूर्वक मरण व स्वर्ग-गमन |
७. प्राहारगृद्धि पर शालिसिक्थ कथा - स्वयंभूरमण समुद्र, तिमिंगिल महामत्स्य, षण्मास - भक्षी, षण्मासशायी । मुख में कच्छप मत्स्य आदि जीवों का आवागमन । उसके मल से उत्पन्न कर्णगोचर शालिसिक्थ मत्स्य का दुश्चिन्तन - यह महामत्स्य मूर्ख है । यदि मेरा इतना बड़ा मुख होता तो एक भी जीव बचकर न जाता । इस दुर्भाव के कारण शालिसिक्थ सप्तम नरक गया व तिमिंगिल भी । भोजन की लोलुपता से दुर्गति पर सुभौम चक्रवर्ती की कथा । भोजन प्रसंग से सूपकार का वध । उसका समुद्र पर राक्षस रूप में जन्म । जाति-स्मरण । फलों द्वारा राजा का प्रलोभन व समुद्र में लाकर वध ।
९. संसार की अनिष्टकारिता पर धनदेव कथा | उज्जैनी की वेश्या वसन्ततिलका । सुदत्त सेठ से प्रेम । गर्भिणी और व्याधिग्रस्त । प्रेमी द्वारा त्याग । शिशु-युगल का जन्म । भोगविघ्नकारी सन्तान पर माता का रोष ।
१०. शिशुओंों का त्याग । पुत्री का दक्षिण दिशा में । सुकेतु सार्थवाह द्वारा ग्रहण व कमला नामकरण । पुत्र उत्तर दिशा में । साकेत के सुभद्र सार्थवाह द्वारा ग्रहण | ११. पुत्र का नामकरण धनदेव । कमला और धनदेव का विवाह । धनदेव का वाणिज्यार्थ उज्जैनी श्रागमन । वसन्ततिलका से भोग विलास | साकेत में कमला की वियोग- पीड़ा
८.
१२. मुनि का आगमन । कमला की वन्दना व पति के विषय में प्रश्न । मुनि द्वारा वास्तविकता का कथन ।
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