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________________ नय अधिकार (३९) १ निश्चयनयः स्वाश्रित: द्रव्याश्रित अभेदाश्रितः। निश्चयनय स्वाश्रित है। निज अखंड अभेद द्रव्य निश्चय नयका विषय है। २ व्यवहार नयः पराश्रितः पर्यायाश्रितः भेदाश्रितः व्यवहारनय पराश्रित है, अन्य द्रव्य तथा अपने पर्यायभेद । व्यवहार नयका विषय है । न खलु एकनयायत्ता देशना, किंतु उभयनयायत्ता । ( पंचास्तिकाय । सर्वज्ञ भगवानका उपदेश एक नयाधीन न होकर उभय नयाधीन होता है। द्रव्यार्थिक: पर्यायाथिक नैगम: संग्रहः व्यवहारः ऋजुसूत्रः शब्दनयः समभिरूढः एवंभूत: इति नव नयाः स्मृताः ॥ ४१ ।। नयोंके मूलभेद दो है । द्रव्याथिक २ पर्यायाथिक । तथा उनके प्रभेद १ नैगम २ संग्रह ३ व्यवहार ४ ऋजुसूत्र ५ शब्दनय ६ समभिरूढ ७ एवंभूत __ इस प्रकार नयोंके ९ भेद कहे है । द्रव्य जिसका मुख्य विषय प्रयोजन है वह द्रव्यार्थिक नय है। द्रव्याथिक नयके ३ भेद है। १ नैगम २ संग्रह ३ व्यवहार पर्यायाथिक नयके ४ भेद है। १ ऋजुसूत्र २ शब्द ३ सम भिरूढ ४ एवंभूत. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
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