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सिद्ध हो रहे है और भविष्य में होगे वे सब भेद विज्ञान के बल पर ही हो रहे हैं और जितने जीव संसार भटक रहे है वे इसी के अभाव में भटक रहे हैं।'
मोक्षमार्ग की प्राप्तिको सामग्री या कारण कलाप छहद्रव्य, नव पदार्थ सात तत्त्वो आदि का यथार्थ बोध प्रमाण नय और निक्षेपोंसे होता है।
वस्तुके समस्त अंशोंको जानने वाले ज्ञान को प्रमाण कहते है । प्रमाण द्वारा समस्त वस्तु अंशोंका निर्णय किया जाता है और जाना जाता है । जीवादि छह द्रव्य प्रमाण विषय प्रमेय हैं । प्रमाण द्वारा गृहीत वस्तुके एक अंशको ग्रहण करनेवाले या जाननेवाले ज्ञान को नय कहते हैं । नय के द्वारा वस्तुतत्त्वके एक अंश का निर्णय किया जाता हैं या सम्यक् रूपसे जाना जाता हैं अर्थात् प्रमाण के द्वारा वस्तु के सब अशो को ग्रहण करके ज्ञानी पुरुष अपने प्रयोजनके अनुसार उसमें से किसी एक अंश की मुख्यतासे कथन करता है वह नय है । ' ये सब श्रुत ज्ञान के ही भेद है इसलिये श्रुतके विकल्पोकोनय कहा है।' अथवा ज्ञाताके अभिप्राय को नय कहा हैं। कहा भी है कि "जो वस्तु को नाना
१. भेदविज्ञानत; सिद्धा: सिद्धा ये किल केचन । २. तस्यैवाभावतो बद्धान ये किल केचन ॥ स. क १३१ प्रमणेन वस्तु
संग्रहीतार्थंकांशो नय: ३. श्रुत विकल्पो वा, ज्ञातुभिप्रायो वा नयः । (आलापपद्धति मत्र १६० ) ४. नाना स्वभावेभ्य: ब्यावृत्य एकस्मिन्स्वभावे वस्तु नयति प्रापयतीतिनयः :। (वही सूत्र १८०)
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