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________________ पर्याय अधिकार ( १९ ) स्थूल है । परमाणु अपेक्षा से नित्य है, स्कंध अपेक्षासे स्यात् अनित्य है । परमाणुसे शुद्ध अवस्था है, स्कंधरूप से अशुद्ध अवस्था है । परमाणु द्रव्यरूप होने से द्रव्य पर्याय है । चिरकाल स्थायी रहता है। इसलिये व्यंजन पर्याय है । इसलिये परमाणुको स्वभाव द्रव्यव्यंजन पर्याय कहा है । तथा परमाणुके पांच गुणोंको ( २ स्पर्श, १ गंध, १ रस, १ वर्ण ) स्वभाव गुण व्यंजन पर्याय कहते है । पंचास्तिकाय) एयरस वण्ण गंध दो फासं सद्द कारणमसद्दं । स्कंधंतरिदं दव्वं परमाणुं तं विजानाहि || अनादिनिधने द्रव्ये स्वपर्यायाः प्रतिक्षणं । उन्मज्जन्ति निमज्जन्ति जलकल्लोलवत् जले ।। १ ।। धर्माधर्म नभः काला अर्थ पर्याय गोचराः । व्यंजनेन तु संबद्धौ द्वौ अन्यो जीव पुद्गलौ ॥ २ ॥ अनादिनिधन विश्व में छह द्रव्य अनादि निधन है। वे अपने अपने पर्याय रूपसे प्रतिक्षण परिणमन करते है । जिस प्रकार जलमे लहरे उछलती है, पश्चात् निमज्जित होती है । इनमे से धर्म-अधर्म आकाश और काल ये चार द्रव्य सदा शुद्ध पर द्रव्यके साथ परस्पर संसर्ग न होनेके कारण इनमे केवल अर्थ पर्याय रूप गुणोका स्वभाव परिणमन होता है । अन्य द्रव्यके संपर्क से होनेवाला विभाव व्यंजन पर्याय रूप परिणमन नहीं होता । जीव और पुद्गल इन दो द्रव्योंमे अर्थ पर्याय और व्यंजन पर्याय दोनो होती है। वैभाविक शक्ति के कारण विभाव द्रव्य व्यंजन पर्याय रूप तथा विभाव गुण व्यंजन पर्याय रूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
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