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________________ ( ८ ) ६ काल द्रव्यमे अस्तित्वादि छह ७ अचेतनत्व ८ अरूपित्व चेतनत्व रूपित्व नही ) ज्ञान-दर्शन-सुख-वीर्याणि-स्पर्श-रस, गंध-वर्णाः, गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्वं, अवगाहनहेतुत्वं, परिणमन हेतुत्वं, चेतनत्वं, अचेतनत्वं, मूर्तत्व, अमूर्तत्वं च इति द्रव्याणां षोडश विशेष गुणाः ११ ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण, गति, हेतुत्व स्थिति हेतुत्वं, अवगाहन हेतुत्व परिणमन हेतुत्व चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व अमूर्तत्व ये सोलह विशेषगुण होते है । ५ टीप ज्ञान- अर्थव्यवसायः ज्ञानं । साकार प्रतिभासः ज्ञान । विशेष प्रतिभास ज्ञानं । जाणइतिकालविसये दवगणे पज्जये बहुभये । पच्चक्खं च पररावखं अणेण जाणेत्ति गं बेंति । गो जोव २९५ पदार्थोंके साकार ज्ञान को ज्ञान कहते है। २ टीप दशन - जं सामण्ण गहणं भावाणं णेव कटुमायारं । अविसेसि दूण अत्थे दंसणमिदि भण्णदे समय । गो. जीव. ४८२ . स्वव्यवसायः दर्शनं । सामान्यावलोकनं दर्शनम् । सामान्य प्रतिभास दर्शनं । पदार्थके सामान्य प्रतिभास को दर्शन कहते है। दर्शनं आत्मविनिश्चितिः । आत्माके निर्णयको श्रद्धाको रुचिको आत्मदर्शन अथवा स्वसंवेदन कहते है। Jain Education International For Private & Personal Use Only For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org www
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
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