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आलाप पद्धति व्यवहार नयसे इंद्रियोंके माध्यमसे परको जाननेकी क्रिया करता हैं इसलिये परज्ञ है।
११ नय योजना अधिकार
इस अधिकारमें नयकी योजना-प्रयोग किस विवक्षासे किया जाता है इसका ज्ञान कराना इस अधिकार का प्रयोजन है ।
नाना स्वभाव संयुक्त द्रव्यं ज्ञात्वा प्रमाणतः । तच्च स्वापेक्षसिद्धार्थं स्यात् ननिश्चितं कुरु ।।
(नयचक्र ६४) प्रमाणके द्वारा अनेकान्तात्मक वस्तुतत्त्वका ज्ञान करने पर एकही द्रव्यमें परस्पर विरोधी अनेक धर्मोकी परस्पर सापेक्षता अविरोध सिद्ध करनेके लिये नयोंद्वारा उन परस्पर सापेक्ष अविनाभावी धर्मोका यथायोग्य सुनिश्चित निर्णय करना चाहिये द्रव्यके संपूर्ण अशधर्मोंका अविरोध निर्णय वस्तुके एक एक अंशधर्मका विवक्षित नय निक्षेप द्वारा ज्ञान करके किया जा सकता हैं। संपूर्ण अंशोंका ग्रहण करना प्रमाण ज्ञान हैं । उसके एक एक अंशका ज्ञान करना यह नय ज्ञान हैं।
जो नय वस्तुके परस्पर विरोधी धमोंको सापेक्ष नय दृष्टि द्वारा स्यात् शब्द प्रयोग पूर्वक सिद्ध करते है वे सुनय कहलाते हैं । जो नय अन्य धर्म निरपेक्ष अपनें विवक्षित एकही धर्मके अस्तित्व की मान्यता स्वीकार करना चाहते हैं वे दुर्नय कहलाते हैं । क्योंकि वे अपने एकांत नय पक्षको भी आप प्रतिपक्ष धर्मके विना सिद्धि नहीं कर सकते । इसलिये वे दुर्नय नया भास है।
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