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ते-ते एटले प्रसिद्ध एवा जिणचंद-सामान्य केवळीने विषे मुविक्कमा-सुंदर गतिवाळा ___चंद्र समान एका कमा-बे चरणो
अजिअं-अजितनाथने वंदिआ य-बांद्या छे
जिअमोहं-मोहने जीतनार ते-ते चरणो पुणणे पुणो-वारंवार
धुअसव्वकिलेसं-सर्व क्लेशने वंदिआ हुति-बांद्या छे
नाश करनार तं-ते
पयओ-आदरवाळो छतो अहं-हुं
पणमामि-प्रणाम करूं छु भावार्थ-भगवानने देवांगनाओए जे रोते वंदन कयु ते चार श्लोकवडे बतावे छे.-आकाशमां विचरनारी, मनोहर हंसीना जेवो गतिवाळी, पुष्ट एवा नितंब अने स्तनोवडे शोभित, संपूर्ण एटले विकस्वर कमळना पत्र जेवा नेत्रवाळी, जाडा अने गाढ स्तनना भारवडे जेमन शरीर नमी गयुं छे. जेमना कटिप्रदेश उपर मणि अने सुवर्णनी बनावेली विशेष शिथील मेखळा शोभी रही छे, श्रेष्ठ घुघरीओ अने झांझर अथवा धुघरीवाळा झांझर, सुंदर तिलक अने कंकणवडे जेओ अत्यंत शोभे छे, जेमना शरीरनु सौंदर्य प्रीतिकारक, चतुर जनना मनने हरनारुं अने सुंदर छे, शरीरना अथवा अलंकारोना किरणोथी जेओ शोभे छे, देदीप्यमान अपांग, (नेत्रने विषे अंजननी रचना) तिलक अने पत्रलेख नामनी अपूर्व रचनावडे जेमना अंगो युक्त करेलां छे तथा भक्ति युक्त थइ वंदन करवा आवेली एवी देवांगनाओए पोताना ललाट वडे जे प्रभुना सुंदर गतिवाळा बे चरणोने
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