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सोणितडाहि-कटिप्रदेश जेमनो | जस्स-जे प्रभुना एवो
अवंग-अपांग-नेत्रप्रांत अर्थात वर-श्रेष्ठ
नेत्रमा रहेला अंजन खिखिणि-घुघरीओ
तिलय-तिलक नेउर-नुपूर-झांझर अथवा घुष
पत्तलेह-पत्रलेख एटले कस्तुरी रीओवाळा झांझर
विगेरेयी कपाळ पर करेली सतिलय-उत्तम तिलक
पत्रलेखा (आड्य) वलय-कंकण, ते रूप छे नामएहिं-नामना विभूसणिआहि-आभूषणो जे
चिल्लएहिं-देदीप्यमान एहवा. मने एवी
अप्पणो-पोताना रइकर-प्रीतिकारक
निडालएहिं-ललाटवडे चउरमणोहर-चतुर जनना म- मंडणोड्डणप्पगारएहि-आनने हरण करनार
भूषणनी रचनाना प्रकारे सुंदर-सुंदर छे.
करीने दंसणिआहिं-दर्शनीय शरीर जे- केहि केहिं वी-कोइ कोइ___मनुं एवी
अपूर्व देवसुंदरीहिं-देवांगनाओए संगयंगयाहिं-युक्त छे अंग पायवंदिआहि-शरीरना अथवा
जेमनां एकी आभूषणोना पाद एटले भत्तिसनिविठ्ठवंदणागयाहिंकिरणोना वृंद एटले भक्ति युक्त थइने वंदन समूहवाळी
करवाने आवेली एवी
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