________________
पथा
पछी सव्वस्तवि० पक्खिय. दुञ्चितिय, दुब्भासिय, दुश्चिद्विय, इच्छाकारेण संदिसह भगवान् इच्छं, तस्स मिच्छामि दुक्कडं, इच्छाकारेण पक्खितप प्रसाय करोजी. पछी पक्खितष चउत्थ भत्तेणं, एक उपवास, बे आयंबिल, त्रण निवि, चार एकासणा, बे हजार सज्झाय, (तप कर्यों होय तो पइडिओ कहिये अने करवो होय तो तहत्ति कहिये, न करवो होय तो मौन रहिये) पछी नीचा बेसी नवकार० करेमिभंते० चत्तारि. मंगलं० इच्छामि पडिक्कमिडं जो मे पक्खिओ० इरियावहि कही अढारलाख चोवीस हजार एकसोवीस मेदे इरियावहिनी क्रियाने विषे दूषण लाग्या होय ते सवि हुँ मन वचन कायाए करी तस्स मिच्छामि दुक्कडं, पछी बंदित्तु कहेवू, अब्भुट्टिओमि आराहणाए पद बोलतां उभा थq. पछी वांदणां +बे देवां. तेमां पक्खिओ वइक्कतो भणवो, पछी इच्छाकारेण संदिस्सह भगवान् अन्भुट्टिओमि अभितर पक्खियं खामेउ? इच्छं खामेमि पक्खियं, एगपख्खाणं पन्नरसह दिवसाणं, पन्नरसराइयाणं जंकिंचि अपत्तियं, मिच्छामि दुक्कडं दइ उभा थइ नीचेनुं सूत्र बोलवू.
४५ पुढवाइसु पत्तेयं पुढवाइसु पत्तेयं, सगवण पत्तयणंत दस चऊदस। विगले दुदु सुरनारय, तिरियचऊ चउदसनरेसु ॥१॥
शब्दार्थ:पुढवाइसु-पृथ्वी- पत्तेय-दरेक सग-सातलाख
काय आदि. वणपत्तेयणंत-प्रत्येक दस-दस चऊदस-चौद वनस्पतिकाय अने विगले-विकलेदुदु-बब्बे
अनन्तकाय . न्द्रियमां + बीजी वखतना वांदणा बेठा बेठा देवा ने आवस्सइ न बोलवू.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org