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आकाशमा देखाय छे ते कलंकसहित छे अने आ आगमरूपी चंद्र तेथी रहित छे, लौकिक चंद्र पूर्णतारहित छे अने आ आगमरूपी चंद्र पूर्णतासहित छे, लौकिक चन्द्रनो राहु ग्रास करे छे पण आ आगमरूपी चन्द्रने कुतर्करूपी राहु ग्रास करी शकतो नथी, तथा लौकिक चन्द्र हमेशां उदय पामतो नथी अने आ आगमरूपी चन्द्र तो निरंतर उदय पामेलोज छे, आबा अलौकिक आगमचन्दनी हुं प्रातःकाळे स्तुति करूं छं. ३.
पछी उभा थइ वर्तमानजिन स्तुति करवी.
॥ श्री वर्त्तमान जिनस्तुति ॥
स्वामी वंदु विहरमाण, जिनवर सीमंधर, सीमनाम मर्याद, धर्मनी तास धुरंधर; युगमंधर आधार, त्रिजगे नमुं भवसिंधुर, बाहु सुबाहु जिणिंद, नमुं महिमागुणसुंदर ॥ १ ॥ अर्थ- विचरता एवा श्री सीमंधरस्वामी जिनवर ते प्रते हुं वंदन करूं कुं. धर्मनी जे मर्यादा- हद तेमां धुरंधर अग्रेसर एवा सार्थक नामचाला युगमंधर नामे भगवान, संसाररूप जे समुद्र तेमां पडता त्रणे जगतना (प्राणीयोने) आधार रूप तेने नमुं लुं. महिमा अने गुणो ए करी सुंदर एवा बाहु ने सुबाहुनामना जिनेन्द्रने हुं नमुं कुं. १. जंबुदीवि चत्तारि जिण, विजयवंत विहरंत; क्षेत्रविदेहे तमतिमिर, दिनयर जेम हरंत ॥ २॥
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