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अर्थ-ए सर्व जिननी प्रतिमाओ उपर-उवलोकमां विमानोनी अंदर अने नीचे अधोलोकमां भवनपतिना भवनमां अने ति लोकमां छे अरिहंतना भावे जुहारतां (वांदता ) थका, जिनेश्वर समान कळ थाय छे. ॥ ४ ॥ ऋषभ चंद्रानन जाणिये, वारिषेण वर्द्धमान ।। चार नाम ए सासतां, प्रणमुं मन धरी ध्यान ॥५॥
अर्थ-१ ऋषभानन, २ चंद्रानन, ३ वारिषेण, ४ वर्द्धमान ए चार नाम हमेशां शाश्वतां छे. मननी अंदर तेमनुं ध्यान करीने प्रणाम -नमस्कार करूं छु. ॥ ५ ॥ इणे नामे नहु को हुवा, न हुवे न हुस्ये कोइ। जइ एहनी प्रतिमा भगुं, ते सासती न होइ ॥६॥
अर्थ-आ नामवाला एटले ऋषभानन, चंद्रानन वारीषेग, अने चर्द्धमान, आ चार तीर्थंकरो भूतकाल एटले गया कालमां थया नथी, वर्तमान कालमां थाय नहिं अने भविध-आवता कालमां थवाना नथी, तेमनी प्रतिमाओ जे छे ते शास्वती छे, एम जागचं, पण ते नामे कोह तीर्थंकर थवा होय अने तेननी प्रतिमा भराववामां आवेल होय, तो ते प्रतिमा अशास्वती जागवी, शास्त्वती प्रतिमाओ तो अनादिकालथी छे छे ने छे, अने अनंतकाल सुवी रहेवानी छे माटे तेओने शास्वती कहेवामां आवे छे. आदि अंत जेहनो नहि, ते सासती कहाय ॥ तास पटंतर जिणपडिमा, मणुअलोक इह थाय ॥७॥
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