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भावार्थ:-जेणे सर्व कार्य सिद्ध कर्या छे, जेणे सर्व भावो जाण्या छे, जे संसारसमुद्रना पारने पामेला छे, जे गुणस्थानना क्रमे मोक्ष सुधी चडेला छे अने जे लोकना अग्रभागमां जइ रहेला छे, ते सर्व सिद्धना जीवोने मारो निरंतर नमस्कार छे. १.
मू०-जो देवाण वि देवो, जं देवा पंजली नमसति ।
तं देवदेवमहिअं, सिरसा वंदे महावीरं ॥२॥
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शब्दार्थ:
जो-जे
नमसंति-नमस्कार करे छे
तं-ते
देवाण वि-देवोना पण देवो-देव छे जं-जेमने देवा-देवताओ पंजली-बे हाथ जोडीने
देवदेव-देवना देव (इंद्र) वडे महिअं-पूजाएला सिरसा-मस्तक वडे वंदे-वाद् छं
भावार्थ-जे देवोना पण देव छे अने जेने देवो हाथ जोडीने नमस्कार करे छे. वळी देवोना पण देव जे इंद्रादिक तेमणे. पण जे पूजेला छे, ते श्रीमहावीरने हुं मस्तक नमावीने वादं छु.
छे. तथा ए गाथा वडे जूदी जूदी वंदना पण करेली छे ते जाणवानी इच्छावाळाए चैत्यवंदन भाष्य जो.
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