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॥ २४ अथ आयरिय उवज्झाए सूत्र ।।* मू०-आयरिय अवज्जाए, सीसे साहम्मिए कुलगणे अ। जे मे केइ कसाया, सव्वे तिविहेण खामेमि ॥१॥
शब्दार्थ:आयरिय-आचार्य
जे मे-जे मारे जीये उवज्झाए-उपाध्यायने
केह-कोइ पण प्रकारको सीसे-शिष्योने
कसाया-कषाय साहम्मिए-साधर्मिकने सव्वे-सर्वने कुल एक आचार्यनो परिवार तिविहेण-प्रण प्रकारे करी गणे अ-घणां आचार्यनो परिवार. खामेमि--खमावु छु
भावार्थ-आचार्य, उपाध्याय, शिष्य, साधर्मिक, कुळ अने गण एमांथी कोइना उपर में कांइपण कषाय कर्या होय, तो ते सर्वनी पासे हुं मन, वचन अने कायाए करीने क्षमा मागु छु. अहीं एक आचार्यनी आज्ञामा रहेनार साधुओनो समूह गच्छ कहेवाय छे, एवा घणा गच्छो भेळा गणीए तो एक कुळ थाय छे, अने घणा कुळ मळीने एक गण थाय छे. मु०-सबस्स समणसंघस्स, भगवओ अंजलिं करिअ सीसे ।
सव्वं खमावइत्ता, खमामि सव्वस्स अहयं पि ॥२॥
*आ सूत्रमा आचार्य, उपाध्याय, शिष्य, साधर्मिक, कुळ, गण, श्रमणसंघ, सर्वजीवो विगैरेनी एकी साथे क्षमा मागी छे, माटे सूत्र बोलती वखते बराबर उपयोग राखवामां आवे तो धणी कर्मनिर्जरा धाय छे.
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