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________________ अने कल्पनीय, अन्न, पान, अने वस्त्रादिकनुं देश, काळ, श्रद्धा, सत्कार अने क्रम पूर्वक उत्कृष्ट भक्तिवडे पोताना आत्माना अनुग्रहनी बुद्धिथी साधुने दान आपq. तेनो नियम लेवो ते अतिथिसंविभाग व्रत कहेवाय छे. आ व्रत पौषधने पारणे अवश्य लेवानुं छे एटले के ते दिवसे साधुने दान आप्या पछी ज पोते भोजन करवानुं छे. जो कदाच साधुनो योग न होय तो भोजन समये द्वार सामु जोइ शुद्ध भावथी विचार के“जो साधु महाराज होत तो मने आज घगो लाभ थात. मारो निस्तार थात.” इत्यादि विचारी भोजन करवू. पौषधना पारणा सिवायमा दिवसोमां साधुने दान आपोने जमवू अथवा जमीने पछी दान आपq ? तेनो काइ नियम नथी. आ व्रतना पांच अतिचार आ प्रमाणे छे.साधुने आपवा लायक अन्न पानादिक वस्तुने नहीं आपवानी बुद्धिथी अथवा अनाभोग के सहसाकारादिकथो माटी विगेरे सचित्त पदार्थ उपर मूकवी ते सचित्तनिक्षेपणता नामनो पहेलो अतिचार छे. १. ए ज प्रमाणे सचित्त पदार्थवडे देय वस्तुने ढांकवी ते सचित्त पिधानता नामनो बोजो अतिचार छे. २. ए ज रीते अदान बुद्ध्यादिकथी पोतानी वस्तुने पारकी कहेवी अथवा देवानी बुद्धिथी पारकी वस्तुने पोतानी कहेवी ते, अथवा साधुए मागेली वस्तु पोताने घेर होय छतां “ आ वस्तु अमुक माणसनी छे, तेनी पासे जइने मागो.” एम कहे, ते, अथवा अवज्ञाथी बीजा पासे दान अपावे ते अथवा मरेला के जीवता पोताना पितादिकने आ दान- पुण्य थाओ एम परना उपदेशथी आपे ते सर्व परव्यपदेश नामनो त्रीजो अतिचार छे. ३. साधु कांइक वस्तु मागे त्यारे पोते कोप करे, अथवा छती वस्तु माग्या छतां आपे नहीं, ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org .
SR No.001362
Book TitlePanch Pratikramana Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokaldas Mangaldas Shah
PublisherShah Gokaldas Mangaldas
Publication Year1942
Total Pages455
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size18 MB
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