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राय-राजा (आदिथी)
इमस्स-आ वर्त्तमान-चालु महिय-पूजित
तित्थस्स-तीर्थने वित्थयरम्-तीर्थकरने
वंदामि महाभाग-म्होटा नसीबवाळाने हुं वादं छु
महामुणिं महायसं महावीरं-महान् यशस्वी, मुनिश्रेष्ठ श्री महावीर परमात्माने
अमर-नर-रायमहियं-देव, मनुष्य अने राजा अथवा देव अने मनुष्यना अधिपतिओथी पूजायेला
तित्थयरमिमस्स तित्थस्स--वर्तमान तीर्थना तीर्थकरने
भावार्थ--जन्मथीज जे महा भाग्यशाळी छे, मुनि समुदायना वडील छे, तथा जेओ महा यशस्वी छे, देव अने मनुष्यना स्वामोथी पूजित छे तथा साधु-साध्वी-श्रावक तेमज श्राविकारूप चतुर्विध तीर्थसंघना अंतिम स्थापक होवाथी परम तीर्थना तीर्थपति छे, एवा परम तीर्थंकर परमात्मा महावीर देवने हुं वंदन करूं छु. ॥ ४ ॥ मू-वयणामएण भुवणं, निव्वावंता गुणेसु ठावंता। जियलोय-मुद्धरंता, अरिहंता हुतु मे सरणं ॥५॥
शब्दार्थःवयण-वाणीरूप
निव्वावंता-शांतिपमाडता अमएण-अमृतवडे
गुणेसु-गुणोने विषे भुवणं-भुवनना लोकोने
ठावंता-स्थापन करता
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