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________________ २५९ विषय पृथंक. विषय पृष्टांक. श्री समेतशिखरजीनुं स्तवन, २५३ सिद्धचक्रनुं चैत्यवंदन-१ २५९ साधुजीने चौद प्रकारना दाननी सिद्धाचळजीन. . निमंत्रणा २५६ श्रीशांतिनाथy. २५९ श्री सरस्वती-श्रुतदेवीनी स्तुति २५६ श्री जिनप्रतिमा स्थापन स्तुतिः २६० चैत्यवंदन करनेकी विधि, २५७ श्री नवपद स्तवन. '२६१ गुरुवन्दन करेनेकी विधि. २५७ श्री शत्रुजय स्तवन सामायिक लेनेकी विधि २५८ श्री शांतिनाथजीनु ,, २६२ २६२ सामायिक पारनेकी विधि शान पंचमीनी सज्झाय २५८ श्री पार्श्वचन्द्रसूरिनो छंद पच्चक्रवाण " " २६४ नवकारसिनु पच्चक्खाण पोरसिन ६५९ । आचार्य श्री सागरचन्द्रसूरिजीनो छंद, युगप्रधान श्रीपाश्चचन्द्रमूरि दादाका छंद सूरिपार्श्वचन्द्र हुवा अबतारी । जस नामतणी महिमा भारी ॥ कट टले मिटे तापतगो । पूज्य दादाजीरो जापजपो ॥ १ ॥ पूज्य नामे सब कष्टटले ॥ वलि भूत प्रेत तो नाहि छले । मिले न चोर होय गप्पचपो || पू० ॥ २॥ लक्ष्मी दिनदिन वधजावे । ओर दुख नेडो तो नहि आवे ॥ व्योपारमें होवे बहुत नफो ॥ पू० ॥ ३ ॥ अडयो काम तो होइ जावे। वलि बिगडयो काम तो बनजावे ॥ भूल चूक नहि खाय डफो ॥ पू० ॥ ४ ॥ राजकाजमें तेज रहे । वलि खनाखमा सबलोक कहे ॥ आछिजायगा जाय रूपो ॥ पू० ॥ ५॥ पूज्य नामतणो जिण लियो ओटो । तस कदे नहि आवे तोटो | घर घर बारणे कांइ तपो, पू० ॥ ६॥ एक माला नित्य नेम रखो। किण वात तणो नहि होय धको ॥ खालि विमान ओर टले जीसपो ॥ पू० ॥ ७॥ स्व गच्छतणी प्रतिपाल करे । मुनिराम सदा तुम ध्यान धरे । कोइ प्रत्यक्ष घात मति उथपो ॥ पू०॥ ॥ ८॥ इति ॥ ओं ही श्री पार्श्ववन्द्रसूरिसदगुदुभ्यो नमः । . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001362
Book TitlePanch Pratikramana Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGokaldas Mangaldas Shah
PublisherShah Gokaldas Mangaldas
Publication Year1942
Total Pages455
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Ritual_text, & Ritual
File Size18 MB
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