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( १८ ) तीर्थंकरों के चरणों में स्वर्ग के इन्द्र भी नमस्कार करते हैं। एक कालचक्र में २४ तीर्थंकर होते हैं ।
वर्तमान कालचक्र में जो चौवीस तीर्थकर हुए हैं, उनके पवित्र नाम इस भाँति हैं :
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१. श्री ऋषभदेव जी १३. श्री विमलनाथ जी २. श्री अजितनाथ जी १४. श्री अनन्तनाथ जी ३. श्री संभवनाथ जी १५. श्री धर्मनाथ जी ४. श्री अभिनन्दन जी १६. श्री शान्तिनाथ जी
श्री सुमतिनाथ जी १७. श्री कुन्थुनाथ जी श्री पद्मप्रभ जी
१८. श्री अरहनाथ जी श्री सुपार्श्वनाथ जी १९. श्री मल्लिनाथ जी श्री चन्द्रप्रभू जी २०. श्री मुनि सुव्रत जी श्री सुविधिनाथ जी २१. श्री नमिनाथ जी
श्री शीतलनाथ जी २२. श्री नेमिनाथ जी ११. श्री श्रेयांसनाथ जी २३. श्री पार्श्वनाथ जी १२. श्री वासुपूज्य जी २४. श्री महावीरस्वामी जी
भगवान ऋषभदेव का दूसरा नाम आदिनाथ भी है।
नौवें तीर्थंकर श्री सुविधिनाथ जी का दूसरा नाम श्री पुष्प दन्त भी है। इसी प्रकार बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ जी का दूसरा नाम अरिष्टनेमि भी है।
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