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________________ सज्जन की संगति सिर्फ इसलिए मत करो कि वहाँ ज्ञान की प्राप्ति होगी । ज्ञान तो पुस्तकों से भी मिल सकता है। लेकिन जो चीज पुस्तक से नहीं मिल सकती, वह सज्जन की संगति से मिल जाती है । और वह है- ज्ञान का आचरण । ज्ञान का आचरण जीवन में कैसे होता है, इसकी प्रेरणा के लिए सत्संग में जाओ ! तुम्हें वातावरण मिलेगा, विचार मिलेगा, आचार मिलेगा। कुल मिलाकर, जीने की कला मिलेगी। * धर्म तो एक प्राण वायु के समान है। वह सब के लिए जितना आवश्यक है, उतना ही सब के लिए समान लाभदायी है । विशुद्ध प्राण वायु के लिए शुद्ध उन्मुक्त स्थान में जाना जरूरी है । उसी प्रकार धर्म का विशुद्ध रूप पाने के लिए भी पवित्र एवं उन्मुक्त (भेदभाव रहित) विचार जरूरी है । * भूत संसार में कहाँ रहते हैं ? जंगलों में, पहाड़ों में, पहाड़ों की निर्जन गुफाओं में, अंधकार में या झाड़ियों में ? नहीं वहाँ कोई भूत नहीं रहता । फिर भूत कहाँ रहता है ? तुम्हारे मन का पर्दा हटाकर देखो ! उसी के भीतर वह बैठा है— कभी क्रोध के रूप में, कभी अविश्वास या बहम के रूप में, कभी अहंकार या लोभ के रूप में वह प्रकट होता है । वह मायावी है, क्षण-क्षण में रूप बदलता रहता है, और इसीलिए तुम अभी तक उसे पहचान नहीं पाए हो ? * अमर डायरी Jain Education International For Private & Personal Use Only 77 www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
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