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तुम धन सम्पत्ति के टुकड़े को यदि अकेले ही खाने की कोशिश करोगे, तब दूसरे भी झपटेंगे, संघर्ष होगा, लड़ाइयाँ होंगी।
बस, और कुछ नहीं, टुकड़े का मोह छोड़ दो, संघर्ष खत्म ! संग्रह में संघर्ष है । त्याग में सुख है।
त्यागमय साधु जीवन में भोग बुद्धि का होना वैसा ही है, जैसा कि लँगोटी लगाकर सिर पर मुकुट पहनना।
सत्कर्म करने के बाद जीभ को लम्बी न होने दो। जहाँ तक हो सके, उसे छोटी रखो, या फिर रहने ही न दो।
लम्बी जीभ अपने किए सत्कर्म का बखान करती है, और इस प्रकार वह अपने सत्कर्म का गला घोंट देती है।
इस वट वृक्ष को देखो, जिसकी शाखाएँ अब आकाश को छू रही हैं।
यह किसी दिन पृथ्वी के गर्भ में एक छोटे से बीज के रूप में मुँह छिपाये पड़ा था। - अपनी वर्तमान तुच्छता से लज्जित हो कर सदा के लिए अपने को हीन मानने वाले इस विशाल वट की ओर देखें। ___ अपने विराट अस्तित्व को समझो अपने को विस्तृत बनाओ और महानता
की ओर बढ़ी। ___ उच्च भविष्य का स्वप्न देखने वाले, और उसी की ओर मस्तक उठा कर चलने वाले महान हुए बिना रह नहीं सकते।
अमर डायरी
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