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दरिद्रता में यदि एक ही गुण, धैर्य है, तो वह मनुष्य को दरिद्रता से उबार सकता है।
धनाढ्यता में यदि संयम, दानशीलता, दयालुता तथा ऐसे ही कुछ दूसरे गुण नहीं हैं, तो वह धनाढ्यता मनुष्य को पतन के गहरे गर्त में ले जाती है।
तुम्हारी आत्मा को जितना सुख दूसरे को सुख प्रदान करते समय मिलता है, शायद उतना किसी दूसरे काम में नहीं मिलता होगा?
यदि यह उत्तर ठीक है, तो तुम वास्तव में ही मनुष्य हो ।
तुम उन्नति चाहते हो? उन्नति के साधनों की खोज कर रहे हो? तो, लो मैं तुम्हें उन्नति का एक स्वर्ण-सूत्र बतला रहा हूँ।
बादशाह बनने के बाद किसी ने हसन से पूछा----आपके पास न तो पर्याप्त धन था और न सेना ही थी, फिर आप सुलतान कैसे बन गए ?" हसन ने उत्तर दिया—मेरे पास तो बहुत साधन थे ! क्या ?" “मित्रों के प्रति सच्चा प्रेम, शत्रु के प्रति उदारता और प्रत्येक मनुष्य के प्रति सद्भाव-क्या इतनी साधन सामग्री सुलतान बनने के लिए काफी नहीं है
हसन का यह स्वर्ण-सूत्र तुम्हारी उन्नति का सोपान बन सकता है।
एक कवि ने सच्चे मित्र का लक्षण बतलाया है
“उदय अस्त में एक-सा, है जिसका व्यवहार
वही मित्र सूरज मुखी, कर सकता है प्यार" अपने मित्रों को इस कसौटी पर कस कर देखो, और स्वयं को भी।
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तुम्हें प्रारब्ध से जो साधन सामग्री प्राप्त हुई है उसका उपयोग करो, उपभोग नहीं। . अमर डायरी
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