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________________ है-समूह या पुञ्ज। पौराणिक साहित्य में स्कन्ध का अर्थ अग्नि की ऊर्ध्व . ज्वाला भी किया है और उसके लिए अग्नि-स्कन्ध शब्द का उल्लेख किया है। जिसका अभिप्राय है-अग्नि की उच्चतम ज्वाला। यहाँ प्रज्ञा-स्कन्ध का तात्पर्य है-ज्ञान की, चिन्तन की सर्वोच्च ज्वाला या ज्योति । मानव मन में ज्ञान की चिन्तन की, विचारों की ज्योति कितनी ऊँची उठ सकती है, और कितनी दूर तक आलोक की रजत रश्मियों को फैला सकती है, इस बात को कवि जी के जीवन में देख सकते हैं। उनके जीवन का हर कोना ज्योतिर्मय है। उनके आचार पक्ष को देखिए विचार पक्ष को देखिए, सब ओर प्राणी जगत के अभ्युदय के लिए ज्योति है, प्रकाश है। मानव का मानव के प्रति रहने वाला प्रेम, स्नेह एवं विश्वास आज कम होता . जा रहा है । वात्सल्य का झरना सूखता जा रहा है। आकाश और धरती पर विज्ञान की विजय होते हुए आज मानव जाति का आपसी व्यवहार उलझन में पड़ गया है। इन उलझनों को कैसे सुलझाया जा सकता है, मानव-मानव के मन के बीच पड़ी हुई खाई को कैसे पाटा जा सकता है और मानव प्रेम, स्नेह एवं समन्वय के धरातल पर पुन: कैसे प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है? इस बात को कवि जी के जीवन में, कवि जी के विचारों में एवं उनके साहित्य में देखा जा सकता है । उलझन भरी परिस्थितियों को सुलझाना ही कविजी का जीवन है । वे जीवन के प्रभात से लेकर अब तक मानव मन की समस्याओं को ही सुलझाते रहे हैं । जीवन की गुत्थियों को खोलना ही उनका काम है। अमर डायरी इस का प्रमाण है। सादंडी से लेकर भीनासर सम्मेलन तक का इतिहास हमारे सामने है। सन् १९५२ में सादड़ी में स्थानकवासी साधु समाज का सम्मेलन हुआ था। उस समय सभी सम्प्रदायों का विलीनीकरण करके श्री वर्द्धमान स्थानक जैन श्रमणसंघ का निर्माण किया। उस समय कई सम्प्रदायों के आचार्य, उपाध्याय एवं बड़े-बड़े सन्त विद्यमान थे। उनका अपना व्यक्तित्व था, परन्तु कवि जी का व्यक्तित्व ही सब पर छाया रहा। वे सम्मेलन के प्रमुख वक्ता और संघटन की कड़ी बने रहे। उनके अथक परिश्रम से एक आचार्य की योजना सफल हुई। एकता के मार्ग में कई रोड़े आए, अनेक समस्याएँ उठीं, परन्तु कवि श्री जी के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
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