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पापी लुटेरे !! अपना सब कुछ चले जाने पर भी सेठ ने अपना सत्य नहीं छोड़ा,
और कहाँ हम अपने पेट के लिए मानवता भी छोड़ देते हैं । डाका डालते हैं और हत्याएँ करते हैं?
सरदार कुछ देर सोचता रहा, फिर सेठ के चरणों में गिर पड़ा। साथियों से कहा उसने-“सब माल लौटा दो। यह कच्चा पारा हजम नहीं हो सकेगा। इस सत्य देवता का माल हम नहीं पचा सकेंगे।"
चांचियों ने सेठ का माल लौटा दिया और साथ में अपना यह नीच कर्म भी सेठ के चरणों की सौगंध खाकर सदा-सदा के लिए त्याग दिया।
सेठ ने उस समय उपदेश नहीं दिया कि यह तुम्हारे पाप का धंधा है, नरक का मार्ग है, छोड़ दो। किन्तु उसके सत्य आचरण ने वह चमत्कार दिखाया जो लाखों करोड़ों उपदेशों से भी अधिक प्रभावशाली था।
आज संसार में चारों ओर कला की चर्चा है । कलाकारों की धूम है। पर क्या तुम जानते हो कि सबसे बड़ी कला क्या है? और कौन है सबसे बड़ा
कलाकार ?
तुम्हारा अपना जीवन भी एक कला है। अच्छी तरह से जीना, प्रेम का रस . बरसाते हुए जीना, विश्व को अपना बनाते हुए और अपने को विश्व का बनाते हुए जीना, यह है जीवन की कला। संसार की सबसे बड़ी कला। और जो इस प्रकार का कलापूर्ण जीवन जीना जानता है, अर्थात् कलापूर्ण ढंग से जीता है, वह है जीवन का सच्चा कलाकार ! संसार का सबसे बड़ा कलाकार ।
अहिंसा नौका है । दुःख, वैर, आपत्तियों और क्लेशों के महासागर को यदि पार करना है तो इस नौका की शरण लेनी ही पड़ेगी। आगम में अहिंसा को तीर्थ माना है, इसलिए कि मानव जाति को दुःखों के सागर से उबारने वाली अहिंसा
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अमर डायरी
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