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________________ हैं, और जो हाथ लालसा से आगे बढ़ा है वह निराश होकर खाली लौट आता है । न इधर के रहे, न उधर के । इसलिए लालच में मत फँसो । जो मिला है, उसे प्रसन्नतापूर्वक उपयोग में लो, और संतुष्ट रहो । * पारिवारिक कलह आज के समाज की विकट समस्या है। जीवन के आनन्द रस में वह एक जहर, उग्र जहर है कि समूचा आनन्द खत्म हो जाता है । आज एक धनी और विशाल परिवार के मुख्य सदस्य से बातें चल रही थीं। उनकी शिकायतों का कुल योग था, असहिष्णुता । सहनशीलता की कमी ही परिवार के सुख, आनन्द और संगठन के टुकड़े-टुकड़े कर रही है। मैंने उस मुखिया को एक पुरानी बात सुनाई - सत्तरहवीं शताब्दी में जापान में ओ-चो-सान नाम का राजमंत्री हो गया है कहा जाता है— एक हजार से भी अधिक सदस्य उसके परिवार में थे, प्रेम और सौहार्द्र के लिए वह जापान भर में विख्यात था। उसके लिए लोगों में यह कहावत चल पड़ी कि ओ-चो सान के घर का कुत्ता दूसरे कुत्तों की हड्डियाँ कभी नहीं चुराता । एक बार सम्राट इस सौहार्द्र और प्रेम का रहस्य जानने के लिए बूढ़े राज- मंत्री के घर पर गए। सम्राट् ने स्वागत के बाद पूछा- मैं वह महामंत्र जानने के लिए आया हूँ, जिसने इस एक हजार से भी अधिक व्यक्तियों वाले परिवार को अटूट स्नेह सम्बन्ध में बाँध रखा है। बूढ़े राजमंत्री ने एक कागज लिया, कलम उठाई, काँपते हाथों से एक सौ शब्द लिखे और फिर सम्राट के सामने रख दिया । सम्राट ने कागज को पढ़ा, तो उसमें सौ बार एक ही शब्द लिखा था -- सहनशीलता ! सहनशीलता । सम्राट चकित होकर देखता रहा । बूढ़े मंत्री ने कहा- “महाराज ! यही वह महामंत्र है, जिसने मेरे परिवार को एक धागे में बाँध रखा है।” 34 Jain Education International For Private & Personal Use Only अमर डायरी www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
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