SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तम्बाकू नहीं छोड़ते, जब भी तम्बाकू पी लेते हैं हालत बिगड़ जाती है । पत्नी की बात का उसने उत्तर दिया-महाराज ! अब तो मसान (श्मशान) में ही छूटेगी। मैंने कहा-तुम तो खूब जोश के साथ भगवान महावीर की जय बोलते थे जिन्दगी भर महावीर का नाम रटने पर भी इतनी वीरता नहीं आई कि एक बुरी आदत को जानते हुए भी नहीं छोड़ सकते? ___ यह एक तम्बाकू की ही बात नहीं है, मनुष्य हजारों प्रकार की तम्बाकुओं के घेरे में फँसा हुआ है, गलत विचार, गलत परम्परा और गलत आचार की तम्बाकू ने उसे इस प्रकार जकड़ रखा है कि जानते हुए भी कि यह बात कभी भूल से स्वीकार करली थी, मगर असत्य है, उसे छोड़ नहीं सकते, छोड़ने की बात दूर रही उसे असत्य करने का साहस भी नहीं कर पाते।। __यह हालत सिर्फ साधारण मनुष्यों की ही नहीं किन्तु बड़े-बड़े धर्मगुरुओं और आचार्यों की भी है। पहली बात तो यह है कि वे गलत विचार को सिद्धान्त के रूप में मान बैठते हैं, उसका आग्रह उनके दिमाग में जड़ें जमा लेता है और फिर उस आग्रह के कारण अनेक विग्रह पैदा होते हैं। सौभाग्य वशं उनमें नये विचार की कोई किरण फूट पड़ती है, सत्य की जिज्ञासा जग उठती है और वे गलत को गलत समझ लेते हैं, फिर भी उसको गलत कहने का साहस नहीं करते । वे सोचते हैं बात तो ठीक है, मगर अब ऐसा कहेंगे तो जनता क्या सोचेगी? मैं उनसे पूछता हूँ कि क्या आपकी दृष्टि में सत्य का कुछ भी मूल्य नहीं, सिर्फ जनता की राय का ही मूल्य है ? यानी अपनी प्रतिष्ठा का मूल्य है। इस प्रकार धर्म गुरुओं और आचार्यों की मानसिक दुर्बलता के कारण कभी-कभी समाज को असत्य का जहरीला चूँट भी पीना पड़ता है। जहाँ असत्य की पूजा होती है, वह समाज कभी भी उठ नहीं सकता, उस पर हमेशा मुर्दनी छाई रहती है। ___ इसलिए सत्य प्रेमी बन्धुओं से मेरा एक निवेदन है कि वे गलत आचरण को कभी स्वभाव न बनने दें, और गलत विचार को कभी सिद्धान्त न बनने दें। यदि दुर्भाग्य वश ऐसा हो गया हो, तो उसे उखाड़ फेंकने का साहस करें। अमर डायरी 147 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001353
Book TitleAmar Diary
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1997
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Spiritual, & Ethics
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy