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ध्येय-हीन जीवन, व्यर्थ है
आपका जीवन आपका सबसे अधिक मूल्यवान धन है । आपके जीवन की सारी सफलता आपके जीवन के ध्येय पर आधारित है। आप अपने जीवन में जो करना चाहते हैं, और होना चाहते हैं, उस पर अधिक से अधिक चिन्तन करें, मनन करते रहें। जीवन का अनुभव मनुष्य को महान् बनाता है । क्योंकि अनुभव संसार का सवंतो महान् गुरु होता है । जीवन के नित्य-निरन्तर अनुभव से मनुष्य बहुत-सी भूलों से बच जाता है और अपने ध्येय को और मजबूत कदमों से चल पड़ता है।
सम्पूर्ण जीव-सृष्टि में मानव जीवन से श्रेष्ठ अन्य जीवन नहीं है, क्योंकि मनुष्य जीवन ही मुक्ति का द्वार है । स्वर्गवासी देव भी मनुष्य जीवन की कामना करते रहते हैं। जैनागमों में एक शब्द है-"देवाणुप्पिया" जिसका अर्थ होता है, देवताओं का प्रिय अर्थात् मानव जीवन-भौतिक सत्ता के अधिष्ठाता देवों के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है। परन्तु यहाँ पर जो मनुष्य जीवन को देव प्रिय कहा गया है, उसका अर्थ केवल हाड़-मांस के ढेर इस मानव देह से नहीं है, बल्कि मानव की आत्मा और मानव मन की पवित्रता से ही आंकना चाहिए।
मनुष्य जीवन की सफलता तब है, जबकि वह अगरबत्ती के समान हो। अगरबत्ती अपने आपको जला कर भी आस-पास के वातावरण को महका देती है। अगरबत्ती से पूछा जाय कि तू जलकर भी खुशबू क्यों
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