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अमर भारती
राष्ट्र के लिए काम करें । व्यापारी अपने पेट के लिए नहीं, राष्ट्र के लिए धन जुटाएँ । शिक्षक अपने पेट के लिए नहीं, राष्ट्र कल्याण के लिए शिक्षादीक्षा दें । भारत के प्रत्येक नागरिक की हरेक हरकत जब राष्ट्र के उत्थान के लिए, अभ्युदय के लिए होगी, तभी भारत बलवान बन सकेगा, ऊँचा उठ सकेगा । इस प्रकार की भावना जिस किसी राष्ट्र में होती है, वहाँ की प्रजा और राजा दोनों सुखी रहते हैं, समृद्ध बन जाते हैं ।
१५ अगस्त, १९५०
राष्ट्र स्वतन्त्रता पर्व: ब्यावर, राजस्थान
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