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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन
हैं, जिनका उल्लेख करना सम्भव नहीं है । इनमें कतिपय महत्वपूर्ण 'पुराण' नामधारी पुराणों का उल्लेख निम्नवत् किया जा रहा है :
१६
क्रम सं० ग्रन्थ का नाम
१. वर्धमान पुराण शान्तिनाथ पुराण
२.
३. महावीर पुराण
8.
५.
६.
७.
८.
चामुण्ड पुराण (कन्नड़)
पार्श्व पुराण ( अपभ्रंश )
अनन्तनाथ पुराण
महावीर पुराण
मल्लिनाथ पुराण
शान्तिनाथ पुराण
पार्श्व पुराण ( अपभ्रंश )
E.
१०.
११.
जयकुमार पुराण
१२. नेमिनाथ पुराण
१३.
पार्श्वनाथ पुराण
१४. कर्णामृत पुराण
१५.
पद्मनाभ पुराण
१६.
अजित पुराण
१७.
१८.
१६. मल्लिनाथ पुराण (
२०. मुनिसुव्रत पुराण
२१.
२२.
२३.
चन्द्रप्रभ पुराण
धर्मनाथ पुराण (कन्नड़)
13
वागर्थ संग्रह पुराण
श्री पुराण
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लेखक का नाम
जिनसेन
असग कवि
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चामुण्डराय पद्मकीर्ति
श्री जन्नाचार्य
भट्टारकसकलकीर्ति
"
भट्टारक श्रीभूषण कवि रइधू
ब्र० कामराज
ब्र० नेमिदत्त
वादिचन्द्र
केशवसेन
भट्टारकशुभचन्द्र
अरुणमणि
कवि अगासदेव
कवि बाहुबलि
कवि नागचन्द्र
ब्रह्म कृष्णदास
भट्टाकर सुरेन्द्रकीर्ति कवि परमेष्ठी
भट्टारक गुणभद्र
रचना-काल
तीसरी शती
१०वीं शती
६१० ई०
शक सं० ६८०
६६६ ई०
सं० १२०६ १५वीं शती
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सं० १६५६ १५-१६वीं शती
सं० १५५५
सं० १५७५
सं० १६६८
सं० १६८८ १७वीं शती
सं० १७१६
[घ] जैन पुराणों का रचना-काल
जब पारम्परिक पुराणों को अन्तिम रूप दिया जा रहा था, उस समय उनके अनुकरण एवं साम्प्रदायिक प्रेरणा एवं आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए जैनाचार्यों ने
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