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________________ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन - आदि पुराण में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव और उनके पुत्र चक्रवर्ती भरत का ही वर्णन हो पाया है। उत्तर पुराण में गुणभद्र द्वारा द्वितीय तीर्थकर अजितनाथ सहित तेइस तीर्थकर, ग्यारह चक्रवर्ती, नौ बलभद्र, नौ नारायण, तथा नौ प्रतिनारायण और जीवन्धर स्वामी आदि कुछ विशिष्ट पुरुषों के कथानक वर्णित हैं। आचार्य जिनसेन ने जिस रीति से प्रथम तीर्थकर तथा चक्रवर्ती भरत का वर्णन किया है, यदि वे जीवित रहते और उसी रीति से अन्य कथा-नायकों का वर्णन करते तो यह महा पुराण संसार के समस्त पुराणों तथा काव्यों से बृहत्काय होता।' महा पुराण के आधार पर निषष्टिशलाकापुरुष विषयक अधोलिखित पुराण एवं चरित्न नामधारी ग्रन्थों की रचना हुई है : १. पुराण नामधारी ग्रन्थ : क्रम सं० ग्रन्थ का नाम लेखक का नाम रचना-काल १. महापुराण (त्रिषष्टि महा पुराण या मुनि मल्लिषेण शक सं० ६६६ विषष्टिशलाका पुराण) सं० ११०४ २. पुराण-सार श्रीचन्द्र सं० १०८० अज्ञात सकलकीर्ति ५. महा पुराण पुष्पदन्त ६. पुराणसार संग्रह दामनन्दि ११वीं से १३वीं शती के मध्य ७. त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित हेमचन्द्र सं० १२१६-१२२८ ८. त्रिषष्टिस्मृतिशास्त्र आशाधर सं० १२६२ ६. आदि पुराण सकलकीर्ति सं० १५२० १०. उत्तर पुराण ११. आदि पुराण (कन्नड़) कवि पंप १२. भट्टाकर चन्द्रकीर्ति १७वीं शती १३. कर्णामृत पुराण केशवसेन १६८८ १४. लघुमहापुराण या चन्द्र मुनि लघुत्रिषष्टिलक्षण महापुराण १. महा, प्रस्तावना, पृ० २६, ४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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