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जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन कैलाश' : पद्म पुराण में कैलाश पर्वत को अष्टपद कहा गया है ।२ डॉ० एस० एम० अली ने दक्षिण हिमालय में इसकी स्थिति बतायी है।'
कृष्णागिरि* : इसे कण्हगिरि (कन्हेरी) तथा कराकोरम या काला पर्वत भी कहा गया है। पश्चिम की ओर यह हिन्दुकुश पर्वत के साथ संयुक्त हो गया है । यह हिमालय से प्राचीन है, जो हर्सीनियम युग में उद्भूत हुआ था।
गिरिनार : इसे रैवतक' और ऊर्जयन्त भी कहते हैं। आधुनिक गुजरात में जूनागढ़ के पास गिरनार या रैवतक पहाड़ी स्थित है।
गोवर्धन : यह पहाड़ी मथुरा जिले में वृन्दावन से १८ मील दूर स्थित है !" गोरथ'२ : इसे गोरगिरि भी कहते हैं । यह आधुनिक बरार पहाड़ी है।"
गन्धमादन'५ : हरिवंश पुराण के अनुसार मेरु पर्वत की पश्चिमोत्तर दिशा में गन्धमादन पर्वत स्थित है ।१६ इसे रुद्र हिमालय और कैलाश पर्वत का एक . हिस्सा बताया गया है । इसके मन्दाकिनी से सिञ्चित होने का उल्लेख मिलता है ।
चित्रकूट" : आधुनिक बाँदा जिले में पयस्वनी और मन्दाकिनी नदियों के तट पर, चित्रकूट रेलवे स्टेशन से चार मील दूर पर चित्रकूट पहाड़ी है।
त्रिकूट : महा पुराण में वर्णित है कि लंका नामक द्वीप त्रिकुराचल से सुशोभित था ।२° पद्म पुराण में इसका उल्लेख त्रिकुराचल नाम से हुआ है। इससे इसकी स्थिति श्रीलंका में मानी जाती है।
चेदि२२ : सम्भवतः यह दक्षिण भारत के चेदि राज्य में रहा होगा। १. हरिवंश २।६४; महा १।१४६, ७।३८६ १२. महा २६।४६
३३।१५-२७, ६३।२६६ १३ निशीथचूर्णी, पृ० १८ २. पद्म १७२, ५।१६६
१४. लाहा-वही, पृ० ३७० ३. एस. एम. अली-वही, पृ० ५६ १५. पद्म १३।३८; महा ७०।११६ ४. महा ३०।५०
हरिवंश ५।२१० ५. लाहा-वही, पृ० १५१
१७. लाहा-वही, पृ० १२६ ६. हरिवंश ११११५
१८. पद्म ३२२० ७. वही ४२१६६
१६. वही ५११५५महा ३०।२६ ८. पद्म २०१५८
२०. महा ६८।२५६ ६. लाहा-वही, पृ० ४७३, ५०० २१. पद्म ६१८२ १०. हरिवंश ३०४८
२२. महा २६०५५ ११. लाहा---वही, पृ० १३६
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