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________________ भौगोलिक दशा [ग] पर्वत १. समीकृत पर्वत: आलोचित जैन पुराणों के परिशीलन से अग्रलिखित पर्वतों का तादात्म्य तत्कालीन साहित्यिक एवं पुरातात्विक साक्ष्यों से होता है : अंजनगिरि' : यह पंजाब की सुलेमान पर्वत गोमल नदी और दक्षिण में सिन्धु नदी है । यह पंजाब करता है। इला : यह भरत क्षेत्र का इला नामक पर्वत है । इष्वाकार : धातकीखण्ड के पूर्व दिशा में इष्वाकार पर्वत है ।" ऋष्यमूक' : तुंगभद्रा क्षेत्र में यह पर्वत है । इसी से पम्पा नदी निकलकर तुंगभद्रा में मिलती है । ' ऋक्षवान् : ताप्ती के दक्षिणी तट पर वर्तमान सतपुड़ा से महादेव पहाड़ियों के पूर्वी भाग के सम्पूर्ण पर्वत शृंखला को ऋक्ष पर्वत से अभिहित किया जाता है। किष्किन्धा : घुलेव से लगभग चार मील दक्षिण-पूर्व में कल्याणपुर नामक आधुनिक गाँव के पास एक प्राचीन नगर के प्रसरित भग्नावशेष प्राचीन किष्किन्धा नामक स्थल को परिलक्षित करते हैं । " १. हरिवंश ६०।२१२; महा ७ ६७, ५८।८६, ७१।१८ लाहा - वही, पृ० १११ कुण्डल" : हरिवंश पुराण में कुण्डलवर द्वीप के मध्य में इसकी स्थिति बतायी गयी है । १२ २. ३. महा ५६ । ११८ ४. वही ५४ । ८६; हरिवंश ५।५७८ ५. वही २०१५६ ६. वासुदेव शरण अग्रवाल - मार्कण्डेय पुराण : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ० १४६ Jain Education International श्रेणी है । इसके उत्तर में को बलूचिस्तान से पृथक् ७. महा २६ । ६६ ८. वासुदेव शरण &. ४३६ १०. ११. १२. महा ५।२६१ हरिवंश ५।६८६ पद्म ६।५३४, ८३।२४; महा २६ ६०, ६८ ४४४ एपिग्राफिका इण्डिका, भाग १, ३० जनवरी, १६५३, पृ० ४ For Private & Personal Use Only अग्रवाल - वही, पृ० १४४ www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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