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रचना-काल
जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन २. चरित्र या चरित नामधारी ग्रन्थ : क्रम सं० ग्रन्थ का नाम लेखक का नाम १. पाण्डव-चरित
देवभद्र सूरि २. पाण्डव-चरित्र
देवविजय गणि ३. , (हरिवंश पुराण) शुभवर्धन गणि ४. पाण्डव-चरित्र (लघुपाण्डव चरित्र) अज्ञात
सं० १२७० सं० १६६०
[स] त्रिषष्टिशलाकापुरुष विषयकपुराण : जैन परम्परा में सर्व मान्य तिरसठ शलाकापुरुष-चौबीस तीर्थंकर [ऋषभदेव, अजितनाथ, सम्भवनाथ, अभिनन्दनाथ, सुमतिनाथ, पद्मप्रभु, सुपार्श्वनाथ, चन्द्र प्रभ, पुष्पदन्त, शीतलनाथ, श्रेयोनाथ, वासुपूज्य, विमलनाथ, अनन्तनाथ. धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अमरनाथ, मल्लिनाथ, सुव्रतनाथ, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, और महावीर ]', बारह चक्रवर्ती [ भरत, सगर, सनत्कुमार, मघवा, शान्ति, कुन्थु अर, सुभूम, महापद्म, हरिषेण, जयसेन और ब्रह्मदत्त २, नौ बलदेव [ विजय, अचल, धर्म, सुप्रभ, सुदर्शन, नन्दीषण, नन्दिमित्र, राम, पद्म ]', नौ नारायण [ त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयंभू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुरुष पुण्डरीक, दत्त (पुरुष दत्त), नारायण (लक्ष्मण), कृष्ण ]", तथा नौ प्रतिनारायण [ अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधुकैटभ, निशुम्भ, बलि, प्रहरण, रावण, जरासंध ]५-हैं। हुंडावसर्पिणी काल में अट्ठावन् शलाकापुरुष का उल्लेख है। नौ नारद [ भीम, महाभीम, रुद्र , महारुद्र , काल, महाकाल, दुर्मुख, नरकमुख, अधोमुख], बारह रुद्र [ भीमावलि, जितशत्रु, रुद्र, वैश्वानर, सुप्रतिष्ठ, अचल, पुण्डरीक, अजितंधर, अजिननाभि, पीठ, सात्यकि पुत्र, बल]", चौदह कुलकर १. पद्म ५।२१२-२१६, ६।१८५-१८६, २०।१८-३०; हरिवंश ६०-१४२-१६३;
महा २०३६-६०; ७६।४७६-४१८० २० पद्म ५।२२२-२२३; महा २०११२४-२०४, ३६।१-२२०, ७६।२८२
२८८; हरिवंश ६०।२८६-२८७, ६०१५६३-५६५, ३. पम २०१२०५-२४२; हरिवंश ६०।२६०; महा ७६।४८५-४८६, ४. पद्म २०२०५-२२८; हरिवंश ६०।२८८-२८६; महा ६८।६६६-६७७,
५७४६०-६४, ७१।१२४-१२८ ५. पद्म २०१२४२-२४८; हरिवंश ६०।२६१-२६२, ६. हरिवंश ६०।५४८ ७. वही ६०।५३४-५३६,
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