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________________ . भौगोलिक दशा ४२३ पलाश : पलाशद्वीप में पलाश नगर बताया गया है। नंगल देश में पलाशकूट नगर वर्णित है ।२ धातकीखण्ड के विदेह क्षेत्रान्तर्गत गन्धिल देश में इसकी स्थिति वर्णित है ।' पलाशी कलकत्ता से तिरानबे मील दूर नदिया जिले में है। पद्मखण्डपुर : भरत क्षेत्र में गन्धल देश में यह स्थित था । जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में पद्मक नगर की स्थिति थी। प्रयाग : पद्म पुराण में वर्णित है कि ऋषभदेव घर से निकले और तिलक नामक उद्यान में प्रजा या जनसमूह से दूर होकर पहुँचे, इसलिए इसका नाम 'प्रजा' हुआ। भगवान् ऋषभदेव ने इस स्थान पर बहुत भारी याग (त्याग) किया, इसलिए 'प्रयाग' प्रसिद्ध हुआ । आधुनिक इलाहाबाद ही प्रयाग है। पावा' : पावा या पावापुरी गोरखपुर में पूर्व छोटी गण्डक के तट पर देवरिया जिले के कसिया से समीकृत किया जाता है।' पाटलीग्राम : पाटलीग्राम का विकसित रूप पाटलिपुत्र है, जो कि मगध की राजधानी थी। इसे कुसुमपुर या पुष्पपुर कहते हैं । गंगा, सोन एवं गण्डक के तट पर पाटलिपुत्र का निर्माण हुआ था। यह आधुनिक पाटलिपुत्र है। . पुण्डरीक : धातकीखण्ड के पश्चिम भाग में विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती देश में पुण्डरीक या पुण्डरीकिणी नगर है । २ पुष्कलावती : गान्धार देश में पुष्कलावती नगर था। यह गान्धार की प्राचीन राजधानी थी, जो सिन्धु के पश्चिम स्थित है। * * १. महा ७५।१०६ २. वही ७१।२७८ ३. वही ६।१३५ लाहा-वही, पृ० ४११ हरिवंश २७।२४; महा ५६।१४८ पद्म ५।११४ ७. वही ३।२७५-२८१ वही २०१६१; हरिवंश ६६।१६; महा ७६।५०६ ६. लाहा-वही, पृ० ४२१ १०. हरिवंश ६०।२४०; महा ६।१२७, ७६।३६८ ११. लाहा-वही, पृ० ४१८ १२. पद्म १६॥३७, ६४।५०; हरिवंश ६०।१४३; महा ७।८१, ४६।१६, ६२।८६ १३. वही ५११०६; हरिवंश ४४।४५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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