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भौगोलिक दशा
४०६ पुण्डरीकिणी : इसे पुण्डरीक भी कहा जाता था। जैन पुराणों में इसकी स्थिति विदेह क्षेत्र में बतायी गयी है ।'
पुण्ड्र : पद्म पुराण में पौण्ड्र देश का उल्लेख मिलता है', जो पुण्ड्र देश था। महाभारत में कई बार पौण्ड्र या पौण्ड्रकों को कभी बंगों और किरातों से सम्बन्धित बताया गया है और अन्य स्थानों पर उड्रों, उत्कलों, मेकलों; कलिंगों एवं आन्ध्रों के साथ ।'
पुन्नाग : महा पुराण के अनुसार यह देश दक्षिण भारत में केरल में स्थित था।'
पुरी : सम्भवतः यह उड़ीसा में स्थित आधुनिक जगन्नाथ पुरी है।
पुष्कला या पुष्कलावती : विदेह क्षेत्र में सीता नदी और नील कुलाचल के मध्य में पुष्कला या पुष्कलावती देश की स्थिति बतायी गयी है। सिन्धु नदी के पश्चिम में यह गान्धार की एक प्राचीन राजधानी थी। इसे स्वात एवं काबुल नदी के संगम से थोड़ा पहले स्थित आधुनिक चारसद्दा (चारषदा) से समीकृत करते हैं।
प्रातर" : यह पुन्नाग देश के साथ है, जो दक्षिण भारत में केरल में स्थित था।
मगध" : मगध को विहार के पटना एवं गया जिलों से समीकृत किया जाता है।
१. पद्म ६४।५०; महा ६।५८ २. महा १६।१५२ ३. पद्म ३७११७ ४. महाभारत, २११३१५८४ ५. वही, ६।६।३६५; ७।४।१२२ ६. महा २६७६ ७. पद्म १०१।८४ ८. महा ६।२६, ५१।२; हरिवंश ५।२४५
६. लाहा-वही, पृ० २०१ १०. महा २६७६ ११. वही १६।१५३, २६।४७, ७६।२१६; पद्म २११, १८।१; हरिवंश ३।३६
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