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________________ धार्मिक व्यवस्था को शास्त्र कथित है। ऐसे शास्त्र का व्याख्यान, संसार के दुःख से भयभीत सत्पुरुषों का उपकार करने की इच्छा को शास्त्र दान संज्ञा प्रदत्त है।' (२) अभय दान : मोक्ष प्राप्त करने का इच्छुक तथा तत्त्वों के स्वरूप को जानने वाला मुनि कर्मबन्ध के कारणों को छोड़ने की इच्छा से जो प्राणिपीड़ा का त्याग करता है, उसे अभय दान' कहते हैं । १३) अन्न दान : हिंसादि दोषों से दूर रहने वाले ज्ञानी साधुओं के लिए शरीरादि बाह्य साधनों की रक्षा के अर्थ जो शुद्ध आहार दिया जाता है, उसे आहार दान (अन्नदान) की संज्ञा प्रदत्त है। ___ पद्म पुराण में प्रशंसनीय और निदिन्त दानों की विवेचना मिलती है : (१) प्रशंसनीय दान : पद्म पुराण में विवेचित है कि जिस प्रकार उत्तम खेत में बोये हुए बीज से अत्यधिक सम्पदा उपलब्ध होती है, उसी प्रकार उत्तम पात्र के लिए शुद्ध हृदय से दिया हुआ दान अत्यधिक सम्पदा प्रदान करता है। उत्तम पात्र को दिया दान उत्तम फलप्रदायक है और नीच को दिया गया दान निम्न फल देता है। भाव से दान देना शुभ होता है। दीन अंधे का दान करुणादान है। सामर्थ्यानुसार भक्तिपूर्वक सम्यक्दृष्टि लोगों के लिए जो दान देता है, उसी का उत्तम दान है, शेष चोरों को लुटाना जैसा है। (२) निन्दित दान : पापी पात्र को दान देने से कुछ प्राप्त नहीं होता है। रागी, द्वेषी, लोभी को दान देने से फल की प्राप्ति नहीं होती। इसी पुराण में भूमि-दान की निन्दा की गयी है। उक्त पुराण में वर्णित है कि यद्यपि पशु तथा भूमि-दान निन्दित है फिर भी यदि जिन प्रतिमा आदि को उद्देश्य करके देने से यह उत्कृष्ट माना गया है।" (iv) दान की पात्रता और उसका परिणाम : हमारे आलोचित जैन पुराणों में दान उसी पात्र को देने का उल्लेख है, जो इसके लिए सर्वथा योग्य हो । महा पुराण में कथित है कि दान उसी पात्र को देना चाहिए जो इसके लिए १. महा ५६।६८-६६ ७. पद्म १४॥६६ २. वहीं ५६।७० ८. वही १४१६५ ३. वही ५६७१ ६. वही १४॥६१-७४ ४. पद्म १४।६० १०. वही १४१७५ ५. वही १४।६४ ११. वही १४१७८ ६. वही १४१६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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