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________________ ३१६ जैन पुराणों का सांस्कृतिक अध्ययन के मध्य सामञ्जस्य स्थापित करने का प्रयास किया है। जैन दर्शन मुख्यतया निवृत्तमूलक है, किन्तु व्यावहारिक जगत में जैन चिन्तकों एवं मनीषियों ने प्रवृत्तिमार्ग को निरुत्साहित नहीं किया है । आलोचित पुराण इस बात पर बल देते हैं कि अर्थार्जन मनुष्य का सदोद्देश्य है।' __ सामान्य जन-जीवन का स्वरूप क्या था? यह तो स्पष्ट नहीं हो पाता, परन्तु चक्रवर्ती राजा के जो चौदह रत्न गिनाये गये हैं, उनसे यही प्रतीत होता है कि राजकीय जीवन में आर्थिक समृद्धि पर विशेष बल दिया जाता था। कुछ जैन पुराण उस चक्रवत्तित्व के द्योतक चौदह रत्नों की प्रतिष्ठापना करते हैं, वे इस प्रकार हैं : चक्र, छत्र, खण्ड, दण्ड, काकिणी, मणि, चर्म, गृहपति, सेनापति, हस्ती, अश्व, पुरोहित, स्थपति तथा स्त्री और कुछ पुराणों में सात रत्नों-चक्र, छत्र, धनुष, शक्ति, गदा, मणि तथा खण्ड-की प्राप्ति शुभप्रद मानी गई है। सामान्यतया इन्होंने आर्थिक समृद्धि की ओर संकेत करते हुए अधोलिखित अष्टसिद्धियों-अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशत्व तथा वशित्व-और नवनिधियों-काल, महाकाल, पाण्डुक, माणव, नौसर्प, सर्वरत्न, शंख, पद्म तथा पिङ्गल-की चर्चा की गई है। इस संदर्भ में महा पुराण ने जीवन के निम्नोद्धत दस भोगों की ओर इंगित किया है-रत्न, देवियाँ, नगर, शय्या, आसन, सेना, नाट्यशाला, बर्तन, भोजन तथा वाहन । पद्म पुराण ने धन के महत्त्व पर बल दिया है और इसके साथ-साथ यह भी कहा है कि धनार्जन धर्म के प्रतिकूल नहीं होना चाहिए। इसी पुराण के ही कथनानुसार सर्वसाधारण की आर्थिक समृद्धि का परिवेश उसी स्थिति में सम्भव है, जबकि राजा धर्म के पथ का उल्लंघन न करे। इससे यह भी स्पष्ट है कि जैनाचार्यों की दृष्टि में राजा की सक्रियता के परिणामस्वरूप ही आर्थिक समृद्धि सम्भव है। १. महा ४६।५५ २. हरिवंश ११।१०८; महा ६३।४५८-४५६ ३. पद्म ६४।११ ४. हरिवंश ११।११०; महा ३७१७३, ३८1१६३ ५. महा ३७।१४३ ६. पद्म ३५।१६१-१६४ ७. वही ११।३५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001350
Book TitleJain Puranoka Sanskrutik Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeviprasad Mishra
PublisherHindusthani Academy Ilahabad
Publication Year1988
Total Pages569
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Culture
File Size8 MB
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